
अब,देश और जनता के बारे में सोचें जनप्रतिनिधि’
अंततः देश की जनता ने राजनीतिक दलों को यह बता दिया,कि ‘झूठे आरोपों और लफ़्फ़ाज़ी से देश की सत्ता पर क़ाबिज़ नहीं हुआ जा सकता!!’…2014 के लोकसभा चुनावों में पदच्युत होने के साथ,काँग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों ने नव निर्वाचित केंद्र सरकार के प्रति जो नकारात्मक व असहयोगात्मक रवैया अख़्तियार किया हुआ था,उसने देश के विकास की गति को पूरी तरह से बाधित किया हुआ था।
विपक्षी दलों ने राजनीतिक प्रतिद्वंदिता में सारी मर्यादाओं को ध्वस्त कर दिया हुआ था।नफ़रत और विरोध के चलते देश और जनता के हितों को तक पर रखने से कोई परहेज़ नहीं किया गया।यहाँ तक कि,देश के संवैधानिक पद पर आसीन प्रधानमंत्री को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपमानित करने में किसी प्रकार की कोर कसर नहीं छोड़ी गई।देश की छवि खराब करने की भरपूर कोशिश की गई।यह कभी नहीं सोचा गया,कि इन सब बातों का आने वाले समय मे अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर क्या असर पड़ेगा।एकमात्र ध्येय था,देश की सत्ता पर काबिज होना!! लेकिन,पिछले कुछ वर्षों में देश की जनता के विचारों में कितना परिवर्तन हुआ है,इसका जरा सा भी आभास विपक्षी दलों को नहीं था।आज़ादी मिलने के पश्चात जनता की जिन भावनाओं को छेड़कर सहानुभूति के वोट पाए जा सकते थे,वे हथकण्डे आज के मतदाताओं के लिए नौटंकी मात्र थे।आज का मतदाता आसानी से बहलाया या फुसलाया नहीं जा सकता।उसकी सोचने-समझने की क्षमता दशकों पूर्व के मतदाताओं की तुलना में अधिक है।वर्तमान का मतदाता स्वविवेक का इस्तेमाल करता है।अपने अच्छे-बुरे का निर्णय वह स्वंयम करता है।सबसे बड़ी बात यह कि, आज के अधिकांश मतदाता अपने मत के महत्व को समझने लगे हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह,कि आज का युवा वर्ग अपने भविष्य के साथ-साथ देश के प्रति अपने दायित्वों को भी समझने लगा है।यही वजह है,कि जब काँग्रेस सहित विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया,तो युवा वर्ग का मतदाता उन राजनीतिक दलों से दूर होता चला गया।जब कश्मीर के पत्थरबाजों के समर्थन में विपक्षी दलों ने आवाज उठाई,..जब देश की सेना के लिए अपमान जनक बयान दिए..जब भारतीय सेना और सुरक्षा बलों पर संदेह जताया,तो देश में जनता के एक बड़े वर्ग ने इसे देश की अस्मिता और सुरक्षा पर हमला माना।यह सब बातें,कहीं न कहीं देश की जनता में आक्रोश उत्पन्न करती रही थीं।जनता अपनी बारी का इंतज़ार कर रही थी।
परिवारवाद की राजनीति को भी इस चुनाव में काफ़ी हद तक नकार दिया।देशभक्ति केवल बातों से नहीं होती,आपके कर्मों में भी देशभक्ति दिखना चाहिए!!..2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों के साथ,देश की जनता ने खुला सन्देश दे दिया है।देशभक्ति किसी की बपौती नहीं हो सकती।अब,पूर्वजों के नाम पर जनता मतदान नहीं करेगी।जनता/मतदाता वर्तमान और भविष्य देख रहा है। कुल मिलाकर 2019 लोकसभा चुनाव परिणामों ने यह साबित कर दिया है,कि सिर्फ़ नारों में नहीं,वास्तव में ‘मेरा देश बदल रहा है!!’….आप सभी को आपकी मनपसन्द सरकार बनने की बधाई व शुभकामनायें’