भगवद् सन्देश तुलसी तपोवन गौशाला संस्थापक- “परम पूज्य पुराण मनीषी” आचार्य श्री कौशिक जी महाराज

एक अनोखे प्रेम का संबंध

एक बार एक चिड़िया का बच्चा आकाश में उड़ता हुआ अचानक किसी घर के आंगन में पड़ा दाना देख कर उसे चुगने के लिए वहां पर जा पहुंचा। जब वह दाना चुग कर वापिस आकाश में उड़ने लगा तो ना जाने कैसे वह उस घर के एक कमरे के दरवाजे से उसमें जा घुसा। कमरे में घुसकर उसे कमरे से बाहर जाने का रास्ता भूल गया और वह घबरा कर कमरे में ही कभी इधर तो कभी उधर भटकने लगा। कभी वह कमरे के एक छोर पर मौजूद जालीदार खिड़की से चहकता हुआ बाहर जाने की कोशिश करता तो कभी दूसरे छोर की खिड़की से, जब वह थक जाता तो पंखे पर जाकर बैठ जाता। परंतु किसी भी हाल में वह अपने बाहर जाने का रास्ता नहीं ढूंढ पाया।
अंत में जब उस चिड़िया के बच्चे की मां उसे ढूंढती हुई उस घर में पहुंची तो उसने खिड़की से अपने बच्चे को तड़पते हुए उस कमरे से बाहर आने की कोशिश करते हुए देखा। यह सब देख कर उसकी मां ने अपने बच्चे की मदद करनी चाही। उसने खिड़की के अंदर से देख रहे आपने बच्चे को आवाज देकर कहा कि “बच्चे अब तुम घबराओ नही क्योंकि अब मैं आ गई हूं और मैं यहां से तुम्हें बाहर निकलने में तुम्हारी पूरी मदद करूंगी।” ऐसा कह कर उसकी मां ने खुद यह निर्णय किया कि वह उस कमरे में जाकर अपने बच्चे को बाहर लेकर आएगी। उसकी मां कमरे में दरवाजे के रास्ते से घुसी और उस कमरे के पंखे पर जा बैठी फिर जैसे ही वह बच्चा अपनी मां को पंखे पर बैठा देख कर अपनी मां के पास आकर बैठा तो उसकी मां उस कमरे के दरवाजे से बाहर की ओर उड़ गई और पीछे-पीछे उसका बच्चा भी उड़कर उस कमरे से बाहर आ गया और दोनों खुशी-खुशी अपने घर की और लौट गए।
मित्रों यह कहानी केवल चिड़िया और उसके बच्चे की ही नहीं थी बल्कि हमारी और हमारे पिता परमेश्वर की भी है। हम सब भी अपने पिता के ऐसे ही नादान बच्चे हैं जो इस संसार रुपी कमरे में आकर कैद हो चुके हैं और अब इससे बाहर निकलने का रास्ता भूल चुके हैं। परंतु हमारे पिता के साथ हमारा एक अनोखे प्रेम का संबंध है। जिसके चलते वह हमें इस संसार रुपी कमरे की कैद से बाहर निकालने में हमारी मदद करने के लिए आते हैं। भगवान श्री कृष्ण गीता में अर्जुन से यह कहते हैं कि “हे अर्जुन! अपने भक्तो का उद्धार करने, दुष्टों का संहार करने तथा धर्म की फिर से स्थापना करने के लिए मैं हर युग में प्रकट होता हूं।”
जब कभी भी प्राणी इस संसार रुपी कमरे में आकर फंस जाते हैं और बहुत दुखी हो जाते हैं तो भगवान इस धरती पर अवतरित होकर अपने बच्चों को इस संसार रुपी कैद से मुक्त होने में उनकी मदद करने के लिए अवश्य आते हैं। जो बच्चे पूरी लगन और मेहनत के साथ अपने पिता द्वारा बताए गए मार्ग पर चलते हैं वह शीघ्र ही इस संसार रुपी कैद से स्वतंत्र हो जाते हैं और सदा के लिए अपने पिता के साथ उनके धाम में निवास करते हैं। इसी को यहां पर “एक अनोखे प्रेम के संबंध” का नाम दिया गया है क्योंकि इस संबंध में एक पिता और एक पुत्र का आपसी गहरा प्रेम समाहित है।

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