हमने जब भी स्वार्थ शब्द का उपयोग किया. हमेशा ही स्वार्थी बनने या समझने के रूप में ही किया या
सुना है. दरअसल पूरे देश में जन्मी ढेर सारी समस्याओं और उनके निराकरण के लिए किये जा रहे
शासन द्वारा या व्यक्तिगत तौर पर प्रयास पूर्ण सफल न हो पाने का कारण हमारी अपनी व्यक्तिगत
सोच ही है. और मेरे अनुसार इसका पूरा श्रेय शिक्षा, पारिवारिक वातावरण को जाता है. क्योंकि परिवार
से ही समाज का निर्माण होता है. अब इसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता है कि हमें अपने व्यक्तिगत
जीवन में कौन से काम करने अतिआवश्यक हैं और किन बातों को नहीं करने चाहिए. जैसा कि मैंने कहा है हमारी सोच ही हमारे देश को पुनः विश्वगुरु बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. मेरी सोच ये है कि हर व्यक्ति को स्वार्थी होना जरुरी है. किन्तु किन बातों में स्वार्थी होना चाहिए और किन बातों में नहीं ये जानना और समझना बेहद जरुरी है.
स्वास्थ्य – अपने स्वास्थ्य की जिम्मेदारी आपकी स्वयं की ही है. इसका फायदा और नुकसान का सबसे ज्यादा असर सबसे पहले आप पर ही पड़ेगा. और दुःख की बात ये भी है इसके बाद आपके परिवार और समाज पर भी इसका असर होता है. इस बारे में आपने भी ढेर सारे अनुभव को देखा और सुना होगा कि गलत-खान-पान या जीवन शैली या फिर अन्य किसी भी वजह के कारण जब आप अस्वस्थ्य हो जाते हैं. हॉस्पिटल में इलाज चल रहा होता है तब आपकी जमा पूंजी और आपका परिवार पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है. और मृत्यु हो जाने की स्थिति में आपके संरक्षण में जीवनयापन कर रहे आपके परिवार के प्रत्येक सदस्यों को इसका दुष्परिणाम झेलना पड़ता है.
इसलिए अपने आपको पूर्णतः शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ्य रखना आपकी नैतिक जिम्मेदारी है इसके लिए आपको स्वार्थी होना चाहिए.
बचत – बढती महंगाई और जिम्मेदारी के बावजूद अपनी सीमित या फिर फिक्स मासिक आय से नियमित बचत करने की हर परिवार एवं व्यक्ति को आवश्यकता होती है. क्योंकि कहा जाता है कि वक़्त हमेशा एक सा नहीं होता. और धन की आवश्यकता हमें जीवन के बहुत से पहलुओं में होती ही है. इसलिए अपनी आय से कम से कम औसतन 20 से 30% मासिक बचत करना हमारे स्वयं के लिए पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए बहुत जरुरी है. इस हेतु मासिक बचत करने के लिए आपको स्वार्थी होना चाहिए.
बीमा – मानव जीवन जब तक है तब संघर्ष रहेगा ही. हमारा जीवन कब तक का है ये कहा नहीं जा सकता है. इसीलिए मेरा अनुभव ये रहा है कि अपनी संभावित पारीवारिक, सामाजिक और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों के अनुसार आपको मेडिक्लेम, टर्म इंश्योरेंस, SIP, वाहन बीमा, मकान, आभूषण या महंगी वस्तुओं बीमा किया जाना बेहद जरुरी होता है. इसीलिए मेरा अनुभव ये रहा है अपनी पारीवारिक, सामाजिक और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों के अनुसार अपनी मासिक आय के अनुरूप बीमा कम्पनियों द्वारा संचालित पॉलिसियों को जानने समझने के साथ लाभ लिये जाने हेतु आपको स्वार्थी होना चाहिए.
अध्यात्म एवं स्वध्याय – मानव जीवन में अध्यात्म और स्वाध्याय का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है. जीवन की ढेर सारी उलझनों का उपाय साहित्य और अध्यात्म देता है. इसीलिए मेरा व्यक्तिगत सुझाव और अनुभव है मेडिटेशन योगा जो आध्यात्मिकता से जुडा हुआ ही है. और अच्छा साहित्य, धार्मिक साहित्य,सकारत्मक सोच को प्रेरित करने वाला साहित्य का नियमित अध्ययन बेहद आवश्यक है. सभी को चाहे वो किसी भी आयु वर्ग, जाति,धर्म, लिंग, आयु का हो उन सभी के लिए योगा, मेडिटेशन, सत-साहित्य, अध्यात्म बेहतर परिणाम देगा. ये उस समय भी साथ देगा जब आप आप कोई महत्वपूर्ण निर्णय ले रहे होंगे या अपने जीवन में कोई विषम परिस्थितियों से गुजर रहे होंगे. इसीलिए अध्यात्म, मेडिटेशन, स्व-ध्याय हेतु आपको स्वार्थी होना चाहिए. इस लेख के माध्यम से ऐसी और भी ढेर सारी बातों का जिक्र किया जा सकता है. जहाँ हमको देश, समाज, परिवार के हित में स्वार्थी बनकर उन नेक नियमों का पालन करना ही चाहिए. हमारी ऐसी पहल आने वाली पीढ़ी को सकारत्मक सन्देश देगी. जैसा की हमारे देश के हित में जनसँख्या नियंत्रण, पर्यावरण के हित में, भ्रष्टाचार के विरोध में, अपने मतदान के सदुपयोग किये जाने में, देश को दिए जाने वाले टेक्स आदि महत्वपूर्ण कार्यों, जिम्मेदारियों के निर्वहन में हमको स्वार्थी होना सकारात्मक होगा. हमारे द्वारा किये जा रहे ऐसे नेक कार्यों से समाज को प्रेरणा मिलेगी…ढेर सारी समस्याओं पर खर्च किये जाने वाली शासकीय राशि को बचाया जा सकेगा. जिससे उस राशि के द्वारा अन्य कोई जनकल्याण कार्य किया जा सकेगा.
रंजीत कछवाहा (सी.ई.ओ. कान्हा कृषि वनोपज प्रोड्यूसर कम्पनी मंडला)