इंटरडिवीजन क्रिकेट प्रतियोगिता में स्पिन गेंदबाजी के लिए चयनित
आदिवासी बाहुल्य जिले की 14 वर्षीय क्रिकेटर सूचि उपाध्याय इन दिनों अपने हरफनमौला प्रदर्शन से जिले का नाम गौरवान्वित कर रही है। सूचि सीहोर में आयोजित हो रही इंदौर, भोपाल, जबलपुर तथा शहडोल संभाग के बीच शुरू हुई अंर्तसंभागीय क्रिकेट प्रतियोगिता में बल्ले और स्पिन गेंदबाजी के प्रदर्शन से चर्चा में है। सूचि मुख्यतः बांये हाथ की स्पिन गेंदबाज है जिसने कुछ ही महीनों पहले अकादमिक रूप से क्रिकेट प्रशिक्षण प्रारंभ किया। अपनी अद्वितीय एवं जल्द सीखने की प्रतिभा के चलते सूचि ने दमदार प्रदर्शन करते हुए अपने कोच से लेकर जबलपुर संभाग के चयनकर्ताओं को भी प्रभावित किया है। उनके अकादमिक कोच रवि साहू बताते हैं कि सूचि स्पिन गेंदबाजी की बारीकियों को बड़ी जल्दी सीख रही है। कोचिंग के दौरान अपने प्रदर्शन में निरंतर सुधार करते हुए आगे बढ़ रही है। खेल मैदान में लड़कों के साथ खेलते हुए भी सूचि अपने प्रदर्शन में लड़कों से बिल्कुल कम नहीं है। लड़कों के साथ गली तथा अकादमी में क्रिकेट खेलने से सूचि के आत्मविश्वास तथा प्रदर्शन में निरंतर वृद्धि हुई है। उसने जबलपुर में अंडर 16 टीम के चयन के दौरान भी अपनी स्पिन गेंदबाजी से सभी को प्रभावित किया और सीहोर में आयोजित होने वाली अंर्तसंभागीय क्रिकेट प्रतियोगिता के लिए चयनित हुई।
बचपन से ही खेलों में रूचि रखने वाली सूचि उपाध्याय को उनके घर से भी क्रिकेट में आगे बढ़ने सकारात्मक माहौल मिल रहा है। उनके पिता सुधीर उपाध्याय ने बेटी की प्रतिभा को गली क्रिकेट के दौरान देखा और स्थानीय अकादमिक प्रशिक्षण में कोचिंग के लिए एडमिशन कराया। सूचि उपाध्याय अंर्तसंभागीय क्रिकेट प्रतियोगिता में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है साथ ही वह मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोशिएशन की जबलपुर संभाग की अंडर-16 क्रिकेट टीम की नियमित सदस्य के रूप में चयनित हुई है। उनके कोच रवि भी सूचि के इंटरडिवीजन क्रिकेट प्रतियोगिता के प्रेक्टिस मैच के अच्छे प्रदर्शन से खुश हैं और आगे भी अपनी प्रतिभा से सभी को प्रभावित करने आशान्वित हैं। सूचि के अलावा खेल मैदान में और लड़कियां भी क्रिकेट का प्रशिक्षण ले रही हैं जो आने वाले दिनों में अंडर-18 क्रिकेट प्रतियोगिता के लिए आयोजित ट्रॉयल में हिस्सा लेगी। मंडला जैसे आदिवासी बाहुल्य जिले में जहां लड़कियों के लिए खेल संसाधन कम है, सूचि का अपनी प्रतिभा और लगन के दम पर इतनी कम उम्र तथा कम प्रशिक्षण के बावजूद महिला क्रिकेट में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन करना निश्चित रूप से जिले के साथ-साथ बेटियों के लिए भी गर्व की बात है।