रक्तदान के लिए कार्य करने वाली भारत मे कई संस्थाओ के द्वारा जरुरतमंद की मदद की जाती है । जिनका मुख्य उद्देश्य रक्तदान के साथ साथ रक्तदान के प्रति जागरूकता फैलाना है किन्तु रक्त की आवश्यकता के लिए आने वाले कॉल में अधिकतम समस्या यही है कि मरीज को जैसे ही ब्लड की जरूरत होती है तो परिजन सीधे संस्थाओं से संपर्क करते है , जबकि रक्त की जरूरत पड़ने पर सबसे पहले परिजनों को रक्तदान के लिए आगे आना चाहिए , उसके बाद अपनी मित्र सूची को टटोलना चाहिये ओर उसके बाद भी जरूरत पड़ती है क्षेत्र में रक्तदान के लिए कार्य करने वाली संस्थाओं से संपर्क करना चाहिए किन्तु यहां 90% केस में सबकुछ उल्टा हो रहा है। पहले संस्थाओं को फोन लगाया जाता है उसके बाद मित्रो को ओर परिवारजनों से संपर्क साधा जाता है कि हम्हे खून लगना था फिर रिस्तेदार सिर्फ देखने आते हैं ।
गौ पुत्र दिलीप चन्द्रौल, गौ सेवा एवं रक्तदान संगठन (मंडला मध्यप्रदेश)
यही कहना चाहता हूं कि संस्थाओं के रक्तविरो का रक्त भी रक्त ही होता है,पानी नहीं….. हम तैयार है रक्तदान करने को पर समाज को अपंग नहीं बनाना चाहते हैं हम चाहते हैं समाज जागरूक बने, लचार नही