मित्रो इसकी रचना के पीछे एक बहुत ही रोचक कहानी है ये बात उस समय की है जब दिल्ली और प्रयागराज की धरती पर मुग़ल अकबर का राज था।
सुबह का समय था एक महिला पूजा से लौटते हुए तुलसीदास जी के पैर छुए तुलसीदास जी ने नियमानुसार उसे सौभाग्यशाली होने का आशीर्वाद दिया आशीर्वाद मिलते ही वो महिला फूट-फूट कर रोने लगी और रोते हुए उसने बताया कि अभी-अभी उसके पति की मृत्यु हो गई इस बात का पता चलने पर भी तुलसीदास जी जरा भी विचलित न हुए और वे अपने आशीर्वाद को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त थे।
क्योंकि इस बात का उन्हें भली भाँति पता था कि भगवान राम बिगड़ी बात संभाल लेंगे और उनका आशीर्वाद खाली नहीं जाएगा उन्होंने उस औरत सहित सभी को राम नाम का जाप करने को कहा।
वहां उपस्थित सभी लोगों ने ऐसा ही किया और वह मरा हुआ व्यक्ति राम नाम के जाप आरंभ होते ही जीवित हो उठा यह बात पूरे राज्य में जंगल की आग की तरह फैल गयी।
जब यह बात अकबर के कानों तक पहुंची तो उसने अपने महल में तुलसीदास जी को बुलाया और भरी सभा में उनकी परीक्षा लेने के लिए कहा कि कोई चमत्कार दिखाए ये सब सुन कर तुलसीदास जी ने अकबर से बिना डरे उसे बताया की वो कोई चमत्कारी बाबा नहीं हैं सिर्फ श्री राम जी के भक्त हैं।
अकबर इतना सुनते ही क्रोध में आ गया और उसने उसी समय सिपाहियों से कह कर तुलसीदास जी को कारागार में डलवा दिया तुलसीदास जी ने तनिक भी प्रतिक्रिया नहीं दी और राम का नाम जपते हुए कारागार में चले गए।
उन्होंने कारागार में भी अपनी आस्था बनाए रखी और वहां रह कर ही हनुमान चालीसा की रचना की और लगातार 40 दिन तक उसका निरंतर पाठ किया।
चालीसवें दिन चमत्कार हुआ हजारों बंदरों ने एक साथ अकबर के कारागार पर हमला बोल दिया अचानक हुए इस हमले से सब अचंभित हो गए अकबर को इसका कारण समझते देर न लगी उसे भक्ति की महिमा समझ में आ गई।
उसने उसी क्षण तुलसीदास जी से क्षमा मांग कर कारागार से मुक्त किया और आदर सहित उन्हें विदा किया।
इस तरह तुलसीदास जी ने एक व्यक्ति को कठिनाई की घड़ी से निकलने के लिए हनुमान चालीसा के रूप में एक ऐसा मार्ग दिया है जिस पर चल कर हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
मात्र भगवान में अपनी आस्था को बरक़रार रखना चाहिए ये दुनिया आस्था उम्मीद पर टिकी है अगर आस्था ही न हो तो हम दुनिया का कोई भी कार्य सफलता पूर्वक नहीं कर सकते।
बिनु बिस्वास भगति नहिं तेहि बिनु द्रवहिं न रामु।
राम कृपा बिनु सपनेहुँ जीव न लह बिश्रामु॥
भावार्थ:-बिना विश्वास के भक्ति नहीं होती भक्ति के बिना श्री रामजी पिघलते (ढरते) नहीं और श्री रामजी की कृपा के बिना जीव स्वप्न में भी शांति नहीं पाता।

जय श्री राम… जय श्री हनुमान
संकलन – नवीन मिश्रा