जहां जिंदगी रफ्तार पकड़ रही थी वहीं इस महामारी के कारण सब रुक सा गया पर कहते हैं ना सच्ची प्रतिभा को कोई नहीं रोक सकता लॉक डाउन के दौरान भागम भाग वाली जिंदगी से निजात पाकर घर में ज्यादा रहने का अवसर मिला।

मुझे भी इस दौरान खयाल आया कि क्यों ना पेंटिंग का जो शौक मुझे बचपन में था और जिसे मैं पढ़ाई की रेस में कहीं भूल गई थी उसे फिर से शुरू किया जाए क्यों ना उसे सीखा जाए और और बेहतर बनाया जाए। मैंने पेंटिंग सीखना चालू कर दिया और प्रतिभा कैसे निखरती गई पता ही नहीं चला क्योंकि इसका शौक बचपन से है तो इसे सीखने में अलग ही मजा आता है । जाने अनजाने हम सब में कहीं ना कहीं किसी प्रतिभा का अंश जरूर होता है, ऐसा कुछ जरूर होता है , जो हम कभी ना कभी करना चाहते थे पर जिंदगी की जद्दोजहद में उसे भूल गए। मैंने इस आपदा की घड़ी को अवसर में बदला और वह किया जो मैं कभी करना चाहती थी।

कला अपने आप में मंत्रमुग्ध करने की राह होती है आखिर जीवन सिर्फ पैसा कमाना बस नहीं बल्कि हमारे मन की खुशी को पाना भी है। आप तब तक कुछ नहीं सीख सकते जब तक आपके अंदर उसके प्रति निष्ठा ना हो चाहे वह पढ़ाई हो या कुछ और यह बात मैंने अपने पी एम टी की तैयारी के समय सीखी थी कि आपकी सफलता आप की लगन में है। कला कोई भी हो अच्छी होती है यदि वो निखरने लगती है तो हमारा व्यवहार भी उसी के भांति होने लगता है। अतः आप सबसे अनुरोध है की समय का सदुपयोग करके कुछ क्रिएटिव जरूर करें ताकि आपकी पहचान बन सके। व्यक्ति चाहे जिस मुकाम पर पहुंच जाए उसकी प्रतिभा ही उसका सही बखान करती है। इस कठिन समय में हमें अपने मनोबल को भी बनाए रखना है जिसमें आपकी पूरी मदद आपकी प्रतिभा या क्रिएटिविटी करेगी आप कभी डिप्रेशन में नहीं जाएंगे और आपको यह भी महसूस होगा कि आपने दिन के समय का सदुपयोग भी किया।
ओजस्वी साहू,मंडला