एक हैवानियत हुई है केरल में,
और हुई है इंसानियत तार-तार I
जिला पलक्कड़ में मलप्पुरम कि यह घटना
साइलेंट वैली जंगल में हुई एक दुर्घटना I
वैसे तो “हाथी मेरे साथी” का गीत सभी को है भाता
तो फिर आखिर क्यों? इंसान हैवानियत पर उतर आता I
जंगल में भूख, प्यास से बिलखती वह एक हथिनी
जाने कहां-कहां भोजन अपना ढूंढ रही थी।
फिक्र ना थी उस हथिनी को खुद के भोजन खाने की
थी उस मां को चिंता कोख में पल रहे बच्चे को बचाने की I
कर भरोसा वह इस दुनिया की मानवता पर
बिन सोचे वह भूखी हथिनी खा बैठी अनन्नास का फल I
फल चबाते ही फट गया जबड़ा उसका कोख में ही रह गया बच्चा उसका I
कैसे बताऊँ उस लाचार माँ की कहानी मैं
खड़ी थी वह तीन दिनों तक बेल्लियार नदी के पानी में I
हिम्मत कर रही थी वह अपने अजन्मे बच्चे को बचाने की
फ़टे हुए जबड़े की जलन को मिटाने की I
सहन न कर पाई वह भूख और अपना दर्द
चली गई वह अपने अजन्मे बच्चे संग स्वर्ग I
वह बेजुबान मासूम थी हम इंसानों से कैसे जीत पाती
फटे हुए जबड़े से वह अपनी व्यथा कैसे सुनाती I
मरते दम तक उसने इंसानों को नुकसान नहीं पहुंचाया
उस बेजुबान ने ही मानवता का असली पाठ पढ़ाया I
आखिर क्या बिगाड़ा था उस हथिनी ने हमारा
क्यों मार डाला उसे दुष्ट बेरहम इंसानों ने I
जब इंसानियत ही हैवानियत पर उतर आए
तो आप ही बताइए क्या किया जाए?
शर्म आती है ऐसी इंसानियत पर जो बेजुबानों को भी नहीं छोड़ते,
हम पढ़े लिखे से तो अच्छे यह बेजुबान जानवर ही होते।
इंसानियत तो मर गई तो इंसान कैसे बच पाएगा
कोरोना अम्फान और निसर्ग तूफान ही तो आएगा I
मत करो इस पृथ्वी पर इतना अत्याचार
नहीं तो तुम भी बच नहीं पाओगे I
संभल जाओ इंसानों तुम प्रकृति का ना अपमान करो
पशु पेड़ और पक्षी तुम सभी का सम्मान करो I
समय बीत गया तो फिर लौटकर नहीं आएगा
और अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन महाप्रलय जरूर आएगा I

कुमारी पूजा ज्योतिषी
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