‘नीयत साफ हो,तो सब कुछ सम्भव है’एक कहावत है ‘जहाँ चाह,वहाँ राह’….इसे चरितार्थ कर दिया था,उच्चतम न्यायालय के नौ नवम्बर 2019 को दिए गए,अभूतपूर्व ऐतिहासिक फ़ैसले ने.देश में चर्चाओं की दिशा बदल गई थी.जो लोग ‘श्री राम जन्मभूमि’ के बिलावजह विवाद से परेशान थे.जो इस समस्या का शांतिपूर्ण हल चाहते थे.उन्हें निःसन्देह बहुत सुकून पहुँचा था.अयोध्या के नागरिकों ने भी चैन की सांस ली थी.यह मामला वर्षों पूर्व हल चुका होता,अगर कुछ कट्टरपंथियों और राजनीतिक दलों ने उलझाए न रखा होता.लेकिन,इसे फिर से उलझाने के लिए राजनीति प्रारम्भ हो गई है.उच्चतम न्यायालय का फ़ैसला आने के बाद यदि ‘कोरोना’ संक्रमण महामारी न फैली होती,तो अयोध्या में ‘श्रीराम’जन्मभूमि पर मंदिर का शिलान्यास हो चुका होता.महामारी के संक्रमण काल मे भी,छुटपुट व्यंग्यात्मक बयानबाजी चलती रही.अब जबकि,राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट द्वारा पाँच अगस्त 2020 की तिथि भूमिपूजन और शिलान्यास के लिए निर्धारित कर ली गई,तो आशानुरूप हलचल बढ़ गई.जैसे ही अतिथि स्वरूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम सामने आया,विघ्नसंतोषी पुनः दड़बे में उछलने लगे.एक बार फिर से अनर्गल बयान दिए जाने लगे.काँग्रेसी नेता हुसैन दलवई ने प्रधानमंत्री को इस समारोह में न जाने की बिन माँगी गई सलाह दे दी.उधर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने तंज करते हुए,मंदिर निर्माण को कोरोना संक्रमण से जोड़ दिया.उनके कथनानुसार क्या मंदिर बनने से कोरोना खत्म हो जाएगा?उच्चतम न्यायालय के फैसले से असंतुष्ट लोगों को प्रधानमंत्री पर कुतर्क पूर्ण शाब्दिक आक्रमण का मौका मिल गया.कभी भाजपा की प्रमुख सहयोगी रही शिवसेना ने भी कोरोन काल में भूमि पूजन और शिलान्यास पर सवाल किए.लेकिन,जैसे ही यह महसूस किया,कि हवा का रुख बदला हुआ है,उसके सुर भी बदल गए.शिवसेना के विधायक प्रताप सरनाईक ने रामजन्म भूमि के मुख्य ट्रस्टी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है,कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राम मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में आमंत्रित करें.आंध्र प्रदेश में ईसाई मिशनरियों के खिलाफ़ आवाज उठाने वाले मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी की पार्टी के बागी सांसद रघुराम कृष्णम राजू ने अपनी तीन महीनों की तनख्वाह राम मंदिर के लिए दान कर दी है.इस सांसद ने राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के नाम पत्र लिखकर तीन लाख छियानवें हज़ार का चैक सौंपते हुए,लिखा कि, देश-विदेश के करोड़ों हिंदुओं की तरह वो भी उस पल का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं,जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में भूमि पूजन कर,राम मंदिर की नींव रखेंगे.ओवैसी अलग परेशान हैं.उनका अपना अलग नजरिया है.जब पूरा विपक्ष प्रधानमंत्री को कटघरे में खड़ा करने के लिए,कुछ न कुछ बोल रहा हो,तो यह कैसे सम्भव है,कि दिग्विजयसिंह कुछ न बोलें.कल उनका भी अनोखा बयान आ गया.राजा साहब की माँग है,कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को भी ट्रस्ट में शामिल किया जाये.दिग्विजयसिंह और शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के आत्मिक सम्बन्ध किसी से छुपे नहीं हैं.कुछ लोगों ने अपना मोदी विरोध जाहिर करते हुए,इस बात पर आपत्ति की,कि भूमिपूजन और शिलान्यास नरेंद्र मोदी से क्यों?वयोवृद्ध भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी जी से क्यों नहीं?आशय यह कि, न्यायलयों में मिली हार लोगों को अभी तक साल रही है.लगभग पाँच सौ वर्षों का संघर्ष.आज़ाद भारत के बहत्तर वर्ष.और,कितनी परीक्षा ली जाएगी हिंदुओं के धैर्य और सहिष्णुता की.न्यायालय से अपने पक्ष में फैसला आ जाने के बाद की खामोशी,विरोधियों की नींद उड़ा रही है.वे अभी तक भावनाएं भड़काने के षड़यंत्र रचे चले जा रहे हैं.इनमें से आज तक,किसी भी नेता ने दूसरे धर्म के बारे में नहीं बोला है.इसकी सीधी-सीधी वजह यह है,कोई भी धर्म हिंदुओं जैसा सहनशील (?) नहीं है.किसी और धर्म के बारे में,की गई छोटी सी टिप्पणी भी जीवन की अंतिम टिप्पणी बन सकती ह,यह बात इन विधर्मियों को अच्छी तरह से पता है.इसलिए सबसे आसान होता है,हिंदुओं धर्म या आस्था पर प्रहार करना.वैसे,बेहतर तो यही होता,कि उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने के पश्चात, सभी राजनीतिक दल और कट्टरपंथी इसे स्वीकार कर लेते.वर्षों की आपसी खटास मिटाने का प्रयास करते.किन्तु,हमारे देश में यह सम्भव नहीं है.यही वजह है,कि महात्मा गांधी के पदचिन्हों पर चलने का दावा करने वाली काँग्रेस पार्टी ने,भगवान श्री राम को काल्पनिक बताया था.उनके अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिए थे.ऊपरी मन से सभी यह कहते हैं,कि भगवान श्रीराम का मंदिर बनना चाहिए.लेकिन अंतर्मन में द्वंद चल रहा है.एक सदाबहार राजनीतिक मुद्दा हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा.शांति कब तक बनी रहेगी,यह कहा नहीं जा सकता.जिनकी दुकानें बंद हो रही हैं,वे कब तक खामोश रहेंगे,यह केवल इंतजार का विषय है.वैसे अयोध्या के श्रीराम मंदिर ने पूरे देश को एकजुट कर दिया था.आपसी भाई-चारे को मजबूती प्रदान की है.पांच अगस्त 2019 जम्मू कश्मीर को धारा 370 और 35 ए से मुक्ति मिली थी.पाँच अगस्त 2020 दिन के 12 बजकर 15 मिनट 15 सेकंड श्रीराम जन्मभूमि पूजन और शिलान्यास के लिए इतिहास में दर्ज हो रहा है.मात्र बत्तीस सेकंड की अवधि में चालीस किलो चांदी की ईंट के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों यह शुभ कार्य होने जा रहा है.इसलिए अंत में यही कहा जा सकता है ‘तेरा राम जी करेंगे बेड़ा पार…पापी मन काहे को डरे’
राकेश झा
सम्पादक