जयंती पर विशेष – दोहे
लालबहादुर दिव्य थे,लालों के थे लाल ।
करके जो उन्नत गए,भारत माँ का भाल।।
संघर्षों की आग में,तपकर बने महान ।
इसीलिए हर एक से,पाया नित सम्मान।।
लालबहादुर शास्त्री,कर्मठता का रूप।
सच्चाई का पथ गहा,लगते खिलती धूप।।
लालबहादुर-सा नहीं,दिखता अब ईमान।
जो हरदम गाते रहे,राष्ट्रहितों का गान।।
‘जय जवान’ -उद्घोष से,जगा दिया यह देश।
‘जय किसान’ ने ला दिया,हलधर में आवेश।।
लालबहादुर वीर थे,सुन उनकी हुंकार।
चीन बहुत भयभीत था,झुकने था तैयार।।
पर कुदरत ने छीनकर,गुदड़ी का यह लाल।
हम सबको तो कर दिया,दुखी और बेहाल।।
कर्त्तव्यों की राह पर,चलकर पाया नूर।
लालबहादुर थे ‘शरद’,हर गुण से भरपूर।।
याद सदा यह लाल है,सदा रहेगा याद।
लालबहादुर हैं अमर,हरदम ज़िन्दाबाद।।
प्रस्तुत हैं श्रद्धा-सुमन,प्रस्तुत मंगलगान।
लालबहादुर आपका,कोटि-कोटि सम्मान।।

प्रो.शरद नारायण खरे, प्राचार्य
शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
मंडला(मप्र)-481661
प्रमाणित किया जाता है कि प्रस्तुत रचना व अप्रकाशित है -प्रो शरद नारायण खरे