ऑनलाइन कवि सम्मेलन

“यही विनती करूँ अम्बे,सदा सुख छाँव में रखना” – प्रो.शरद नारायण खरे”

अखिल भारतीय साहित्य सदन के द्वारा मासिक गोष्ठी नवरात्रि के आगमन पर ‘नवरात्रि’ विषय पर आयोजित विगत रविवार को आयोजित की गयी।कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ राम प्रकाश ‘पथिक’ जी वरिष्ठ साहित्यकार के द्वारा की गयी।मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड से श्रीमती शशि देवली जी मंच पर आसीन रहीं।विशिष्ट अतिथि डॉ राजीव पांडेय जी तथा कर्नल प्रवीण त्रिपाठी जी मंच पर सुशोभित रहे।कार्यक्रम का कुशल संचालन कुसुम लता’कुसुम’ जी के द्वारा किया गया।गोष्ठी का आरंभ सुषमा भंडारी जी के द्वारा सरस्वती वंदना से किया गया।काव्य पाठ करने वाले कविगण उपस्थित थे:-डॉ अशोक कुमार ‘मयंक’, .श्रीमती रीता गौतम, गोरखपुर,आशा दिनकर जी दिल्ली,ओमप्रकाश ओम जी बिहार, प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे ,मध्य प्रदेश,  भगत सिंह राणा ‘ हिमाद, ‘उतराखंड, वेदस्मृति ‘कृती’ पुने,डॉ. सरोजिनी ‘तन्हा’ मेरठ,डॉ.गीता गंगोत्री गाजियाबाद,श्रीमती डॉ.नीलम खरे, मंडला, अर्चना गोयल “माही” रोहतक,सुनीता सेमवाल उत्तराखंड,सुनीता पूनिया , नई दिल्ली, के.एम.त्रिपाठी “कृष्णा” प्रतापगढ़,कुमार रोहित ‘रोज’ जी दिल्ली,सुषमा भंडारी जी दिल्ली,कर्मेश सिन्हा जी दिल्ली आदि।मध्यप्रदेश मंडला के वरिष्ठ कवि प्रो.शरद नारायण खरे ने माँ दुर्गे की वंदना करते हुए कहा……….

यही विनती करूँ दुर्गे,सदा सुख-छाँव में रखना       

न हो कोई भी ग़म-पीड़ा,

मुझे उस गाँव में रहनान मुश्किल-दर्द

कठिनाई कोई इस भक्त पर आए         

यही है बंदगी अम्बे,दया कर ठाँव में रखना।             

अंत में मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष व संयोजक डॉ रामनिवास जी ‘इंडिया’जी के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया और गोष्ठी का समापन किया गया।                             

प्रो.शरद नारायण खरे ,मंडला,मप्र

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