मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रदेश के ग्रामीण आबादी क्षेत्रों में संपत्ति सर्वेक्षण अभियान प्रारंभ किया गया है। भारत सरकार की स्वामित्व योजना के अधीन संचालित इस सर्वेक्षण का उद्देश्य नक्शे के आधार पर संपत्ति के मालिकाना हक का शासकीय दस्तावेज तैयार करना है। ग्रामों का आबादी नक्शा तैयार करने का काम ड्रोन के माध्यम से किया जा रहा है। इस योजना के क्रियान्वित होने से जहाँ ग्रामीण संपत्ति का शासकीय रिकार्ड तैयार होगा वहीं ग्राम पंचायतों को ग्रामीण आबादी की संपत्तियों की स्पष्ट और सटीक जानकारी उपलब्ध होगी। ग्रामीणजन अपनी संपत्ति के मालिकाना हक का शासकीय दस्तावेज उपलब्ध होने से बैंक से ऋण प्राप्त कर सकेंगे।
इस संबंध में कार्यालय कलेक्टर से प्राप्त जानकारी के अनुसार ड्रोन द्वारा आबादी सर्वे कर केवल उन संपत्ति धारकों का अधिकार अभिलेख तैयार किया जाएगा जो मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 (यथा संशोधित 2018) के लागू होने की दिनांक 25/09/2018 को आबादी भूमि पर अधिभोगी थे अथवा जिन्हें इस दिनांक के पश्चात् विधिपूर्वक आबादी भूमि में भू-खण्ड का आवंटन किया गया। ड्रोन द्वारा आबादी सर्वेक्षण के लिए निश्चित दिनांक से एक दिन पहले सर्वेक्षण की जानकारी ग्रामवासियों को मुनादी के माध्यम से दी जाएगी। पटवारी द्वारा आबादी भूमि की बाहरी सीमा को चूना के माध्यम से मौके पर चिन्हित किया जाएगा। संपत्ति के साथ संलग्न खुला क्षेत्र की सीमाएं संबंधी संपत्तिधारक से चूना से चिन्हित कराई जाएंगी। सीमाएं चिन्हित करते समय यदि कोई विवाद होता है तो ग्राम स्तरीय समिति के सहयोग से इसका निराकरण किया जाएगा। ड्रोन द्वारा निर्मित नक्शे का सत्यापन डोर-टू-डोर सर्वे के आधार पर संबंधित अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। घर-घर जाकर किए गए सर्वे के समय जो लोग निवासरत् पाए जाते हैं उनके मामलों में 25 सितम्बर 2018 की स्थिति में संपत्ति का उपयोग में होने तथा उसके पश्चात की तिथि में विधिपूर्वक बसे होने की तसदीक की जाएगी। ग्रामवासियों की ओर से प्राप्त दावे आपत्तियों की जांच विहित रीति से सुनवाई करते हुए की जाएगी।
आबादी सर्वेक्षण से होने वाले लाभ
प्राप्त जानकारी के अनुसार आबादी सर्वेक्षण से ग्रामवासियों के लिए ग्रामीण संपत्तियों का अधिकार अभिलेख प्राप्त होगा, प्रत्येक संपत्ति धारक को उसकी संपत्ति का स्वामित्व प्रमाण पत्र मिलेगा। संपत्तियों पर बैक से ऋण लेना आसान होगा। संपत्तियों के पारिवारिक विभाजन, संपत्ति हस्तांतरण की प्रक्रिया सुगम होगी। पारिवारिक सम्पत्ति के विवाद कम होंगे। इसी प्रकार ग्राम पंचायतों को संपत्ति शुल्क के रूप में पंचायत को स्थानीय आय के साधन प्राप्त होगा। पंचायत स्तर पर ग्राम विकास की योजना बनाने में सुविधा होगी। शासकीय एवं सार्वजनिक सम्पत्ति की सुरक्षा एवं रख रखाव आसान होगा। संपत्ति संबंधित विवादों में कमी आएगी तथा संपत्ति के नामांतरण एवं बटवारा का प्रत्यक्ष अधिकार प्राप्त होगा।