सतकोसिया टायगर रिजर्व उड़ीसा में बाघ स्थापना कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2018 मे बांधवगढ़ से एक बाघिन को सतकोसिय भेजा गया था। सतकोसिया में कुछ अवांछित घटनाओं के पश्चात बाघिन को क्षेत्रिय नागरिकों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से बाड़े में गत दो वर्ष से रखा गया था। एनटीसीए भारत सरकार द्वारा बाघ स्थापना कार्यक्रम की समीक्षा उपरांत कार्यक्रम को स्थगित करते हुये स्थानांतरित बाधिन को म.प्र. वापस करने के निर्देश जारी किये गयेे। इस संबंध मे एक याचिका क्रमांक 10912 को म.प्र. उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गयी थी। उच्च न्यायालय के आदेशानुसार 4 नवम्बर 2020 के द्वारा बाघिन को कान्हा टायगर रिजर्व मण्डला मे वन्य जीवन हेतु पुनः प्रशिक्षित करने हेतु निर्देशित किया गया। म.प्र. शासन द्वारा इसकी अनुमति प्राप्त होने पर कान्हा टायगर रिजर्व मण्डला मे बाघिन के स्थानांतरण हेतु तैयारी की गई। सतकोसिया टायगर रिजर्व से सतत् सम्पर्क एवं बाघिन के संबंध में जानकारी प्राप्त की जाती रही। कान्हा टायगर रिजर्व मण्डला से एक दल एस.के. सिन्हा सहायक संचालक, वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. संदीप अग्रवाल एवं अन्य सम्मिलित थे। 20 मार्च 2021 को सतकोसिया (उडीसा) भेजा गया दल द्वारा सतकोसिया प्रबंधन एवं वन्यप्राणी विशेषज्ञों के साथ बाघिन की गतिविधियों एवं स्वास्थ्य का परीक्षण करने के बाद 21 मार्च 2021 को सायं 6 बजे पकड़ा गया। 24 मार्च 2021 को मध्य रात्रि में कान्हा टायगर रिजर्व मण्डला के मुक्की में पहुचने पर बाघिन का पुनः परीक्षण किया गया एवं रात्रि में घोरेला बाडे़ में मुक्त कर दिया गया 25 मार्च को प्रातः क्षेत्र संचालक एवं अन्य स्टाफ द्वारा बाघिन के गतिविधियों का निरीक्षण किया गया। बाघिन पूर्ण रूप से स्वस्थ एवं सक्रिय है, इसके वनक्षेत्र मे पुर्नस्थापना हेतु प्रशिक्षित करने की कार्यवाही आगामी दिनांक से संपन्न की जायेेगी।