मनचाहा वर देती है नक्खी माता ,पाषाण प्रतिमा को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते है भक्त

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बकौरी ग्राम में स्थित मॉ नक्खी माता

मंडला. जिला मुख्यालय से उत्तर दिशा में लगभग 20 किमी की दूरी पर मंडला निवास मार्ग में बसे ग्राम बकौरी में 17 वीं शताब्दी में एक पहाड़ी के ऊपर नक्खी माता स्वयं प्रगट हुई थी। ऐसा ग्राम के बुजुर्ग बताते है। नक्खी माता के पास  शीतला माई, खैरमाई, कालभैरव का भी स्थान है। नक्खी माता के दरबार में मांगी गई मुरादें अतिशीघ्र पूरी होती है। मंदिर की विशेषता यह है कि पहाड़ी में होने के बाद यहां श्रृद्धालु अपने वाहन से मंदिर तक पहुंच जाते है।
माता के भक्त नितिन साहू ने बताया कि जब गांव में संकट आया तो माता ने भी गांव वालों को सावधान किया था। मंदिर की ख्याति दूर दूर तक फैली है। जब से गांव में माता विराजमान है कभी भी गांव के ऊपर संकट के बादल नहीं छाए है। माता की पाषाण प्रतिमा जिसे देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते है। श्रृद्धालुओं के मंदिर प्रांगण में पहुंचते ही उन्हें मानसिक सुख का अनुभव होता है और श्रृद्धालु इसी विश्वास से माता से मन्नत मांगते है। जिनकी मन्नत पूरी होती है। यही कारण है कि नक्खी माता के पास दूर शहरों से भी लोग मन्नत मांगने दौड़े चले आते है।

339 कलश की स्थापना:
जानकारी अनुसार इस वर्ष कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मंदिरों और पंडालों में जवारे नहीं बोये गए है। जवारें के स्थान पर माता के दरबार में कलश की स्थापना की गई है। ग्राम बकौरी की पहाड़ी में विराजी माता नक्खी माई के दरबार में इस बार 339 कलश, 38 टोकनी और 18 खप्पर रखे गए।  

मंदिर परिसर में रखे गए कलश और जवारे

मंदिर का हुआ जीर्णोद्धार:
सैकड़ों वर्ष पुराने, जीर्ण-शीर्ण मंदिर का जीर्णोेद्धार 1997 में किया गया। मंदिर का गुंबज चौपहला बनाया गया है। यहां मंदिर परिसर का विस्तार किया गया है। माता के दरबार के आसपास अन्य देवी देवाताओं की भी स्थापना की गई है। जहां भक्त माता के दर्शन करने पहुंचते है, वहीं माता के दर्शन के बाद यहां स्थापित अन्य देवी देवताओं के भी दर्शन कर पूजा अर्चना करते है।

पहाड़ पर स्थित माता नक्खी माई का दरबार

साल भर होते है आयोजन:
वैसे तो पूरे वर्ष माता की पूजा अर्चना में पूरे ग्राम के लोग एकत्र होते है लेकिन चैत्र व शारदेय नवरात्र में जवारे कलश के साथ माता की विशेष पूजा अर्चना व माता का श्रृंगार किया जाता है। साल भर यहां भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर माता के दरबार में धार्मिक आयोजन और भंडारा कराते है। लेकिन विगत वर्ष ओर इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते कोई भी आयोजन नहीं किये गए। यहां समिति के सदस्य और पुजारी द्वारा ही पूजा अर्चना की जा रही है।

ग्रामीणों को कर रहे जागरूक :
बता दे कि इस बार शासन के दिशा निर्देशों का पालन करते हुये यहां मंदिर परिसर में इस बार बड़े आयोजन नहीं किये जाएगे। समिति के सदस्यों द्वारा प्रशासन के सभी नियमों का पालन कराया जा रहा है। मंदिर में पूजा अर्चना पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा है। श्रद्धालुओं को घर से ही अष्टमी पूजन के लिए कहां गया है। मंदिर परिसर में लगे लाउडस्पीकर के माध्यम से कोरोना से बचने के उपाए ग्रामीणों को प्रतिदिन बताए जा रहे है। श्रद्धालुओं द्वारा भी भरपूर सहयोग किया जा रहा है। इस बार भक्तों को माता के दर्शन कराने के लिए समिति द्वारा सोशल मीडिया का सहारा ली है। जिससे भक्तों को माता के दर्शन कराया जा सके।  

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