“सिद्धेश्वर की कहानियाँ समाज के मुखौटे को उतारने में पूर्णतः सफल हैं l

” समाज के दोगले चरित्रों को बेनकाब करती है सिद्धेश्वर  की कहानियां !”: कुवँर वीर सिंह 

मंडला–विशिष्ट अतिथि प्रो.शरद नारायण खरे (मध्य प्रदेश) ने कहा कि – ” सिद्धे्वर जी की कहानी ‘बसेरा’ रिश्ते-नातों की ख़त्म होती मिठास,गिरते मूल्यों व ख़ुदगर्ज़ होते इंसानों की सच्चाई को परोसती एक ऐसी मार्मिक कथा है,जिसमें पुत्र स्वार्थी बनकर अपने पिता से मुख मोड़ता नज़र आता है।कहानी समाज के मुखौटे को उतारने में पूर्णतः सफल है l”     भारतीय युवा संहित्यकार परिषद और राइजिंग बिहार के तत्वाधान में आयोजित  फेसबुक के ”  अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका “के पेज पर,  ऑनलाइन एकल कथा पाठ का ऑनलाइन आयोजन किया गया,जिसमें कथाकार सिद्ध्श्वर ने अपनी तीन कहानियों का पाठ किया,जिनकी विवेचना देश के प्रसिद्ध समीक्षकों ने की,जिसे तीन सौ से अधिक लोगों ने देखा और सराहा l                गोष्ठी की  मुख्य संयोजिका राज प्रिया रानी ने एकल पाठ के स्वागत भाषण में कहा कि – ” आरंभ में कहा कि   सिद्धेश्वर की प्रस्तुति कहानियों में,  जीवन और समाज की जीवंत तस्वीर देखी जा सकती है ! सिद्धेश्वर की  समकालीन  कहानियां  संवेदनशील भावनाओं की  सहज अभिव्यक्ति है,  जो आम पाठकों के हृदय में सीधे-सीधे उतर जाती है! उनकी कहानी  की भाषा,  शब्दों की कलाबाजी नहीं करती बल्कि  बिना लाग लपेट के  बयां कर जाती है l  सिद्धेश्वर कथा जगत के अप्रतिम हस्ताक्षर हैं l ”              एकल कथा पाठ के मुख्य अतिथि ” साहित्य  त्रिवेणी  पाक्षिक पत्रिका के संपादक डॉ कुवँर वीर सिंह ‘मार्तण्ड ‘( कोलकाता) ने कहा कि * ”  सिद्धेश्वर की कहानी ‘ हम होंगे कामयाब ‘ समाज के कुछ ऐसे तथाकथित दोगले चरित्रों को नंगा करती है, जो सस्ती प्रशंसा बटोरकर कामयाब होना चाहते हैं।                   उन्होंने उनके व्यक्तित्व कृतित्व पर विस्तार से  प्रकाश डालते हुए कहा कि – ” सिद्धेश्वर जी एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार एवं चित्रकार हैं। उनकी कहानियाँ, कविताएं, लघुकथाएं एवं रेखाचित्र देश के अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।  यहां भी एकल कथा पाठ में, अपनी तीन  कहानी के माध्यम से उन्होंने  अपनी दमदार प्रस्तुति दिया है !”             अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ सविता मिश्रा मागधी ( बेंगलुरु )ने कहा कि – ” सिदेश्वर की कहानी “हम होंगे कामयाब” को, इस डिजिटल प्लेटफॉर्म  पर ऑनलाइन सुनकर हर व्यक्ति द्रवित हो उठा है  l जिसमें नेता से लेकर मीडिया के खोखलेपन का सजीव चित्रण बड़ी बारीकी से उधेड़ कर रख दिया गया है l झूठे नाम के पीछे भागते कवियों पर भी करारा व्यंग्य किया गया है । कहानी की भाषा-शैली सहज और सुंदर है।सिद्धेश्वर की कहानी  हमारी आत्मा को झकझोर कर रख देती है l”               अपूर्व कुमार (हाजीपुर ),”  सिद्धेश्वर जी कहानी  सामाजिक विसंगतियों को उभारने में  माहिर हैं l  पुलिस, नेता, नौजवान सभी अपना कर्त्तव्य भूल कर स्वार्थपूर्ण कार्यों में लगे रहते हैं। इस प्रकार यह कहानी समस्यामूलक कहानी की श्रेणी में आता है।”  जबकि बरेली के डॉ लवलेश दत्त ने कहा कि – ”  मैं सिद्धेश्वर जी की लेखनी से परिचित हूँ। वे बहुत सशक्त और समर्थ रचनाकार हैं!लेकिन ‘बसेरा ‘ कहानी मुझे कई स्तरों पर उतना प्रभावित नहीं कर पायी। लगता है कि सिद्धेश्वर जी ने कहानी समाप्त करने में जल्दबाजी की है।और कथानक में भी में भी नयापन नहीं दिखता !’     वरिष्ठ कथाकार जयंत ने कहा कि -” सिद्धेश्वर की ‘बसेरा ‘ कहानी से गुजरते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि कहानी में लेखक स्वयं कहीं मौजूद है अथवा गुजरती हुई कहानी के तट पर खड़े, वे चुपचाप उसका अवलोकन कर रहे हैं. यही कहानी की सजीवता है. कहानी उन लोगों के लिए संदेश दे जाती है, जो उम्र की दहलीज पर खड़े हैं ! ”      .  सिद्धेश्वर की ” हम होंगे कामयाब” कहानी पर विस्तार से चर्चा करते हुए ऋचा वर्मा ने कहा कि –  ” शिल्प की बात करें, तो कहानी बहुत ही कसी हुई है,इसमें एक प्रवाह है, जब आप एक बार पढ़ना शुरू करते हैं तो अंत पर आकर ही रुकते हैं! आप की उत्सुकता बरकरार रहती है। संवादों के माध्यम से चरित्रों को सही ढंग से उभारा गया है। कहानी की शैली भी  व्यंगात्मक और तल्ख है ! ”  विजयानंद विजय ( मुजफ्फरपुर ) ने कहा कि- ”  अपनी कहानी में सिद्धेश्वर जी  कुत्सित राजनीति पर करारी चोट भी करते हैं और समाज को आईना भी दिखाते हैं।युवाओं में आत्मविश्वास भरते हैं कि उनकी संघर्ष और जूझने की क्षमता ही उन्हें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर अग्रसर करेगी।मैं इस लिए भी सिद्धेश्वर जी की ” हम होंगे कामयाब ”  को शिल्प और कथावस्तु की दृष्टि से उत्कृष्ट कहानी मानता हूँ।”             इस संगोष्ठी में ऑनलाइन  अपने विचार रखने वालों में प्रमुख है – विश्वमोहन कुमार,  दुर्गेश मोहन, राम नारायण यादव,  संजय रॉय,  आलोक चोपड़ा,अंजु भारती,  रश्मि पाठक, गरिमा अस्थाना, ऋचा पाठक, मधुरेश  शरण, श्रीमती सविता चड्डा , श्री श्याम शर्मा, श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी,श्री हरेंद्र सिन्हा,  मधुरेश नारायण, कंचन वर्मा, डॉ नूतन सिंह, राजकांता, संतोष कुमार, अंजू भारती, मीना कुमारी परिहार, आदि  ! 

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