मीडिया टुडे समाचार : मंडला

आबकारी विभाग द्वारा 4 के विरूद्ध प्रकरण पंजीबद्ध

जिला आबकारी अधिकारी से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में अवैध, जहरीली मदिरा विनिर्माण, परिवहन व विक्रय के रोकथाम हेतु लगातार कार्यवाही जारी रखते हुए संदिग्ध स्थानों, दुकानों, ढाबों एवं होटलों में छापामार कार्यवाही की गई। कार्यवाही के दौरान अवैध रूप से संग्रहित 56 पाव देशी मदिरा, 27 पाव विदेशी मदिरा एवं 10 बोतल बीयर के जब्त किये गये। इस अपराध में संलिप्त 4 व्यक्तियों के विरूद्ध मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम 1915 की धारा 34 (1) के अन्तर्गत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। जिले में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कड़ी नजर रखते हुए अवैध, जहरीली शराब के विनिर्माण, परिवहन व विक्रय की रोकथाम हेतु निरंतर गश्त एवं प्रतिबंधात्मक कार्यवाही जारी रहेगी।

जिले में अब तक 904.4 मिमी. औसत वर्षा दर्ज

जिले में इस वर्ष एक जून से 20 सितम्बर के दौरान 904.4 मिमी. औसत वर्षा दर्ज की गई है जबकि इसी अवधि तक गत वर्ष 1512.9 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई थी। इस प्रकार गत् वर्ष की तुलना में इस वर्ष 608.5 मिलीमीटर कम वर्षा दर्ज की गई है। अधीक्षक भू-अभिलेख से प्राप्त जानकारी के अनुसार 20 सितम्बर को मंडला में 2.8, नैनपुर में 2.3, निवास में 2.6, घुघरी में 2 एवं नारायणगंज में 1.5 मिमी वर्षा दर्ज की गई। इस प्रकार जिले में 1.8 मि.मी. वर्षा दर्ज की गई।

आर्थिक सहायता स्वीकृत

प्राप्त जानकारी के अनुसार मृतक अंश रघुवंशी निवासी ग्राम बूढ़ीमाई वार्ड की सर्पदंश से मृत्यु होने के कारण अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मंडला द्वारा मृतक के निकटतम वारसान को कुल 4 लाख रूपये की आर्थिक सहायता स्वीकृत की गई है। मृतक के निकटतम वारसान आवेदक अनीता रघुवंशी को कुल 4 लाख रूपए की आर्थिक सहायता स्वीकृत की गई है। यह राशि संबंधित के बैंक खाते में जमा करने के निर्देश दिए गए हैं।

आकाशीय बिजली से बचाव के लिए एडवाईजरी

बरसात के दिनों में आकाशीय बिजली अक्सर जानलेवा साबित होती है। खेतों में काम करने वाले, पेड़ों के नीचे पनाह लेने वाले, तालाब में नहाते समय बिजली चमकने पर इसकी आगोश में आने की संभावना अधिक रहती है। आकाशीय बिजली से बचाव के कुछ उपाय ऐसे हैं जिससे  बचा जा सकता है। राज्य सरकार के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा लोगों को सतर्क रहने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया गया है।

आकाशीय बिजली कड़कने पर यदि घर के भीतर हों तो बिजली से संचालित उपकरणों से दूर रहें, तार वाले टेलीफोन का उपयोग नहीं करना चाहिए। खिड़कियां व दरवाजे बंद कर दें, बरामदे और छत से दूर रहें। इसके अलावा ऐसी वस्तुएं जो बिजली के सुचालक हैं उनसे भी दूर रहना चाहिए। धातु से बने पाईप, नल, फव्वारा, वॉश बेसिन आदि के संपर्क से दूर रहना चाहिए।

इसी तरह जब आप घर के बाहर हैं तब वृक्ष जो बिजली को आकर्षित करते हैं। बिजली चमकते समय वृक्ष के नीचे न खड़े रहें, ऊंची इमारतों वाले क्षेत्र में आश्रय न लें, समूह में खड़े होने के बजाय अलग-अलग हो जाएं। किसी मकान में आश्रय लेना बेहतर है। सफर के दौरान अपने वाहन में ही रहें। मजबूत छत वाले वाहन में रहें, खुली छत वाले वाहन की सवारी न करें, बाहर रहने पर धातु से बने वस्तुओं का उपयोग न करें। बाइक, बिजली या टेलीफोन का खंभा तार की बाड़ और मशीन आदि से दूर रहें। तालाब और जलाशयों से दूर रहें यदि आप पानी के भीतर हैं, अथवा किसी नाव में हैं तो तुरंत बाहर आ जाएं। सिर के बाल खड़े हो जाएं तो समझिए बिजली गिरेगी। यदि आकाशीय बिजली चमक रही है और आपके सिर के बाल खड़े हो जाएं व त्वचा में झुनझुनी होने लगे तो फौरन नीचे झुककर कान बंद कर लें। क्योंकि यह इस बात का सूचक है कि आपके आस-पास बिजली गिरने वाली है।

आकाशीय बिजली गिरने पर क्या करें –

बिजली का झटका लगने पर जरूरत के अनुसार व्यक्ति को सीपीआर, कार्डियो पल्मोनरी रेसिटेंशन यानि कृत्रिम सांस देनी चाहिए। तत्काल प्राथमिक चिकित्सा देने की व्यवस्था करनी चाहिए।

मलेरिया, डेंगू एवं चिकुनगुनिया से बचाव के लिए एडवाईजरी

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि वर्षाकाल में मच्छरों की उत्पत्ति बढ़ जाती है एवं मच्छरजन्य परिस्थितियाँ निर्मित होती हैं। मलेरिया, डेंगू, चिकुनगुनिया के प्रसार की भी संभावना होती है। इसलिए मलेरिया, डेंगू एवं चिकुनगुनिया से बचाव हेतु आवष्यक सावधानियाँ रखी जानी अत्यंत आवष्यक है। मलेरिया के लक्षण में कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है। कपकपी के साथ तेज बुखार, सिर दर्द, उल्टी होना, बेचैनी, कमजोरी, सुस्ती, रुक-रुक्कर बुखार आना, पसीना आकर बुखार उतरना, ठंड गर्मी या तपन का महसूस होना आदि मलेरिया के लक्षण हैं। बुखार आने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में खून की जांच कराऐं एवं मलेरिया की पुष्टि होने पर पूर्ण उपचार लें। खाली पेट दवा का सेवन कदापि नहीं करना चाहिये। मलेरिया की जांच व उपचार सभी शासकीय अस्पतालों पर निःशुल्क उपलब्ध है।

डेंगू मलेरिया फैलाने वाले मच्छर जहां पैदा होते हैं जैसे- छत पर खुली टंकियां, खाली बर्तन, मटके, गमले, टायर, कूलर, फ्रिज के पीछे भरा पानी, गार्डन, फूलदान, पात्रों में एक सप्ताह से अधिक भरे साफ पानी में मच्छर अंडे देते हैं जिससे लार्वा एवं पूर्ण वयस्क मच्छर बनता है। डेंगू के लक्षण 2-7 दिन तक बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द जोड़ों में दर्द, आंख के पीछे दर्द, खसरा जैसे लाल चकत्ते छाती एवं हाथों पर डेंगू के लक्षण हैं। डेंगू के उपचार के लिए डेंगू की पुष्टि होने पर चिकित्सक के परामर्श अनुसार पूर्ण उपचार लेना चाहिए। रोगी को पर्याप्त मात्रा में पेय पदार्थ जैसे- फलों का रस, पानी, ओ.आर.एस लेना चाहिए एवं आराम करना चाहिए। किसी भी दर्द निवारक गोली का सेवन नहीं करना चाहिए। मच्छरों की उत्पत्ति को रोकने हेतु भरे हुए पानी को हर 3-4 दिन में बदलना चाहिए।

पानी संग्रहण करने वाली टंकी, बाल्टी एवं अन्य, पानी से भरे हुए बर्तन को ढक्कर रखना चाहिए। वॉशबेसिन, बाथरुम में पानी निकासी के स्थान में मच्छररोधी जाली लगवाना चाहिए एवं मच्छर की उत्पत्ति स्थल पर मिट्टी का तेल या जला हुआ ऑइल डालना चाहिए। यह आवश्यक है कि घरों के आस-पास सफाई रखें, अनावश्यक पानी जमा न होने दें। सोने के लिए हम मच्छरदानी का उपयोग करें, घरों में मच्छर निरोधक जालियों, मच्छर निरोधी क्रीम, कॉइल का उपयोग करें। अपने घरों में मच्छर निरोधक पौधे जैसे- लेमनग्रास, लहसुन, लेवेंडर, गेंदा, तुलसी, सिट्रोनेला इत्यादि लगायें।

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