पेंशन पर आयकर – पकी फसल पर तुषारापात शासकीय,अर्ध- शासकीय,निगम,मंडल व स्वायत्त संस्थाओं( ऑटोनॉमस बॉडीज) में कार्यरत शासकीय कर्मचारी लगभग 35-40 वर्षों की सेवा करने उपरांत “अधिवार्षीकी आयु” प्राप्त होने पर सेवानिवृत्त हो जाता है । भारत के विभिन्न राज्यों में यह आयु 58 वर्ष,60 वर्ष एवं 62 वर्ष तक है । मध्य प्रदेश शासकीय सेवक अधिनियम 1967 की धारा 2,मूल नियम 56 मे 31 मार्च 2018 को संशोधन कर एक अध्यादेश अस्तित्व में लाया गया,तदानुसार म.प्र.के शासकीय सेवक की सेवानिवृत्ति की आयु को 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दिया गया है ।”अधिवार्षिकी आयु”पूर्ण होने के उपरांत शासकीय सेवक को उसके विभाग द्वारा सूक्ष्म गणना उपरान्त स्वीकृत कर , दी जाने वाली पेंशन वस्तुतःउसकी आय नहीं है अपितु उसके द्वारा जीवन भर की गई सेवा के प्रतिफल स्वरूप शेष जीविका के उपार्जन हेतु प्रति माह दी जाने वाली सीमित राशि है। इसे शासन द्वारा प्रदत्त सहयोग राशि अथवा सम्मान निधि भी कहा जा सकता है। उल्लेखनीय हैं कि वर्ष 2007 व उसके बाद शासकीय सेवा में आने वाले कर्मचारियों हेतु पेंशन का प्रावधान अथवा यह सुविधा समाप्त कर दी गई हैं । यद्यपि वर्तमान परिवेष में वरिष्ठ नागरिकों का सहयोग करना,उनका सम्मान करना आदि शासन की दृष्टि में गौण हो गया है, तथापि हम भारतवासी जिस सामाजिक ढांचे में रहकर जिस संस्कृति व परम्परा का अनुसरण करते हैं उसमें पिता,पितामह, प्रपितामह की सर्वोच्च स्थान एवम विशिष्ट मान्यता व सम्मान है । शासन द्वारा इन उम्रदराज लोगों को प्रभावहीन एवं “चुके हुये लोग” समझने की भूल करना महंगा पड़ सकता है । आज मध्य प्रदेश में लगभग साढ़े पाँच लाख पेंशनर्स हैं जबकि शासकीय कर्मचारियों की संख्या लगभग सात लाख अर्थात पेंशनर और शासकीय कर्मचारियों में लगभग 45:55 का अनुपात है , शासन द्वारा इस तथ्य पर बुद्धिमत्ता पूर्ण व सहानुभूति पूर्वक विचारण करना आवश्यक है अन्यथा पेंशनर्स के प्रति शासन का उपेक्षापूर्ण आचरण उभयपक्षों के लिए अहितकारी प्रमाणित होगा ।”जीवन की इस संध्या”में अर्थात वृद्धावस्था में आयु प्रक्रिया के कारण शारीरिक शीथिलता एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता / शक्ति का ह्रास हो जाने के कारण अधिकांश सेवानिवृत्त कर्मचारी विभिन्न गम्भीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं व उन्हें प्राप्त होने वाली शासकीय चिकित्सा सुविधायें बजट के अभाव में प्रायःअनिश्चित ही रहती हैं । ऐसे में उसे प्राप्त हो रही पेंशन न केवल उसके जीविकोपार्जन हेतु अपितु जीवन के अन्य एवम शेष दायित्वों के निर्वहन हेतु भी अपर्याप्त रहती है । अतः इस आय रहित निधि को जो उसकी जीविका का साधन है,आयकर से मुक्त किये जाने की नितान्त आवश्यकता है । इस भीषण महँगाई के दौर में पेंशन पर आयकर , लगाना वृद्धों की जीवन भर की बैंक में जमा पूंजी पर टी.डी.एस.काटना सर्वथा अनुचित है । मैं खण्डवा ( म.प्र. ) का निवासी हूँ , वहाँ की स्थानीय भाषा मे लोकोक्ति है- “दूबर गाय ता पर दोहरा आषाढ़” अर्थात एक तो दुबली पतली गाय उस पर आषाढ़ के दो दो महीने (अधिक मास सहित ) यह युक्ति पूर्ण रूपेण आयकर देने वाले पेंशनर्स पर चरितार्थ है । पेंशनर्स एसोसिएशन मध्य प्रदेश के प्रांतीय उपाध्यक्ष एवं मध्य प्रदेश – छत्तीसगढ़ पेंशनर्स महासंघ का को-चेयरमैन होने के कारण आये दिन पेंशनर्स की समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है । उनकी व्यथा में सबसे कष्टकर है “अर्थ-अभाव” के कारण उनकी दयनीय स्थिति।आयकर दाता पेंशनर की आर्थिक स्तिथी भी असंतोषजनक है। कुछ रईसों को बात बात पर यह कहकर इतराते हुये देखा-सुना जाता है कि वह करदाता ( टैक्स पेयर ) है । सोचें कि हमारे देश में ऐसा कौन है जो करदाता नहीं है ? झुग्गी-झोपड़ी से महलों तक में रहने वाले प्रत्येक मनुष्य के जन्म से उसकी मृत्यु तक उपयोग की जाने वाली प्रत्येक वस्तु “कर युक्त” है । प्रातःउठने से रात्रि में निद्रा में जाने तक वह ना जाने कितनी ही अनगिनत वस्तुओं पर लगाये गये कर की अदायगी करता है । यहाँ तक की मनुष्य के पालतू जानवरों के भोजन,उनके रखरखाव के साधनों ,मनुष्य द्वारा लगाये गये पेड़-पौधों ,फसल,कृषि उपकरण आदि आदि पर विक्रय कर जी.एस.टी,आयकर एवम अन्य अनेकानेक कर से युक्त हैं फिर उस पर “पेंशन पर आयकर” अर्थात शासन हित में तो यह “आम के आम,गुठली के दाम” है सेवानिवृत्त व्यक्ति पर इन करों का बोझ न केवल असहनीय हो गया है अपितु “दमघोंटू” भी प्रमाणित हो रहा है , उसका हाल ऐसा हो गया है जैसे “गरीबी में आटा गीला” । भारत में आयकर का प्रारंभ 24 जुलाई 1860 से हुआ । अंग्रेज शासन के अधिकारी सर जेम्स विलियम द्वारा इसे प्रचलित किया गया था । महाराष्ट्र की पवित्र नगरी शिर्डी में जहाँ साई बाबा का समाधि मंदिर है वहाँ “पेंशनभोगी मंच” ने दिनांक 23 जुलाई 2018 को अपने “अखिल भारतीय सम्मेलन” में यह प्रस्ताव पारित कर केंद्र शासन से अपील की है कि पेंशन को आयकर से छूट मिलनी चाहिये । वस्तुतः जब पेंशन कोई अर्जित आय है ही नहीं तो फिर उस पर आयकर कैसा ? जब विधायकों,सांसदों की पेंशन आय कर से मुक्त है तो सामान्य पेंशनर्स की क्यों नही ? यह घोर अन्याय एवम विसंगति क्यों ? मेरे द्वारा मध्य प्रदेश पेंशनर एसोसिएशन व मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ सँयुक्त राज्य पेंशनर्स महासंघ के प्रांतीय पदाधिकारी होने के दायित्व से देश के संवेदनशील,लोकप्रिय एवम न्यायप्रिय माननीय प्रधानमंत्री महोदय , वित्त मंत्री महोदय एवम मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री महोदय को इस आशय अनुरोध सहित पत्र प्रेषित किये गये हैं । इन पत्रों में केंद्र के समान 28% महंगाई भत्ता जो वर्तमान में म.प्र.में केंद्र से 12% कम अर्थात मात्र 16% देय है । छठे वेतनमान का बकाया 32 माह का , सातवें वेतनमान का 27 माह के एरियर्स दीर्घ अवधि से अनेकानेक बार अनुरोध उपरान्त भी अभी तक लम्बित है । एक्स ग्रेसिया ( मरणोपरांत अनुग्रह राशि ) – दक्षिण भारत के प्रांत द्वारा सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु पर उसके परिवार जनों को ₹55,000 /- सहयोग राशि के रूप में दिया जाता है जबकि मध्यप्रदेश में इस पर अनिश्चितता की स्तिथी है तथा शासन की ओर इस बिन्दु पर की जाने वाली घोषणा अभी तक प्रतीक्षित है । वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली मेडिकल उपचार सुविधा का बजट अप्राप्त है आदि का भी उल्लेख भी किया गया है । मध्यप्रदेश शासन द्वारा हमारी इन समुचित न्यायसंगत माँगों को वित्तीय बताकर उन पर विचारण न करने का प्रमुख कारण मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ राज्य विघटन अधिनियम 2000 की धारा 49 बताया जाता है, जिसका उल्लेख करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य की स्वीकृति प्राप्त करने का हवाला देकर हमारे निवेदन को निरन्तर “पाइप लाइन” में डाल दिया जाता है । जबकि 20 वर्ष उपरान्त यह धारा अनुपयुक्त होकर समाप्त करने योग्य है । अति संवेदनशील माननीय प्रधानमंत्री महोदय एवम हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री महोदय के समक्ष हमारा यह निवेदन “नक्कारखाने में तूती” प्रमाणित नहीं हुआ तो निश्चित ही पेंशन से “आयकर मुक्ति” का मार्ग प्रशस्त होगा व पेंशनर्स की अन्य वर्णित अधिकृत माँगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचारनोपरांत स्वीकृति मिलना सुनिश्चित होगा,अन्यथा माह दिसंबर 2021 में जबलपुर में आयोजित पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय अधिवेशन में इस बिंदु पर पुरजोर मंत्रणा की जाकर आंदोलन की योजना निर्मित कर तदानुसार अग्रिम कार्यवाही निर्धारित की जायेगी ।
नरेश शर्मा , राज्य पुलिस सेवा , नगर पुलिस अधीक्षक ( से.नि.), जबलपुर म.प्र.