पीपल और ऊर्जा : पीयूष

पीपल एक ऐसा वृक्ष है जो आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से सदैव ही प्रासंगिक रहा है।आध्यात्मिक तौर पर यदि बात करें तो पीपल के पेड़ के लिए कहा जाता है कि यह एक देव वृक्ष है जिसका उल्लेख हमारे ऋग्वेद तथा स्कंद पुराण में भी है।पीपल के मूल में भगवान विष्णु का वास होता है, तने में श्री कृष्ण, पत्तियों में श्रीहरि, बीजों में अनेक देवता वास करते हैं।मेरा व्यक्तिगत मत है कि जब भी हमें सकारात्मक ऊर्जा की आवश्यकता हो तो पीपल के दर्शन अवश्य करना चाहिए। क्योंकि हर एक व्यक्ति/पेड़/जीव की अपनी ऊर्जा होती है और अपना एक आभामंडल होता है।श्री कृष्ण गीता में कहते हैं वृक्षों में मैं पीपल हूं। सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त के पहले यदि पीपल के निकट जाएं तो सकारात्मक ऊर्जा संचारित होगी। बोधगया में भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति भी पीपल के पेड़ के नीचे ही हुई थी।वहीं महर्षि पिप्पलाद और पीपल की कहानी भी बड़ी रोचक है।
अब वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो अनेक प्रकार के पेड़ों की प्रजाति में पीपल ही ऐसा वृक्ष जो 24 घंटे ऑक्सीजन प्रदान करता है ।जबकि सामान्य तौर पर पेड़ केवल सूर्य की रोशनी में ही ऑक्सीजन प्रदान करते हैं।पीपल के पत्तों को औषधि गुण वाला माना जाता है। प्राचीन काल में विशेष तौर पर चाणक्य के काल खंड में पीपल के पत्तों से जलाशय या जल कुंड के जल को पवित्र करने में किया जाता रहा है।इस लिए पीपल के संरक्षण और संवर्धन का प्रयास जरूर करें।

एडव्होकेट पीयूष पांडेय

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