कलेक्टर ने संगम सहित अन्य घाटों का भ्रमण कर लिया व्यवस्थाओं का जायजा
कलेक्टर हर्षिका सिंह ने मकर संक्रांति के अवसर पर मेला स्थल संगम सहित नगर के अन्य घाटों का भ्रमण कर व्यवस्थाओं का जायजा लेते हुए सुरक्षा, साफ-सफाई तथा आवागमन व्यवस्था के संबंध में आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने मोटर वोट से संगम घाट, किलाघाट, पुरवा घाट, वैद्य घाट, बनिया घाट, रंगरेज घाट, महाराजपुर घाट, सिंहवाहिनी घाट एवं रपटा घाट आदि का भ्रमण किया।
श्रीमती सिंह ने विभिन्न घाटों में तैनात नगरपालिका, होमगार्ड तथा पुलिस के अमले को निर्देशित किया कि कोई भी व्यक्ति नर्मदा में लगाई गई बेरीकेटिंग के आगे न जाए। इसी प्रकार नावों में निर्धारित क्षमता से अधिक सवारी न बैठाली जाएं। उन्होंने नर्मदा तट की सफाई व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। इस दौरान अपर कलेक्टर मीना मसराम, नगर पालिका अध्यक्ष विनोद कछवाहा सहित संबंधित उपस्थित रहे।
खेलो इंडिया के लिए वातावरण तैयार करने विविध गतिविधियाँ आयोजित करें – दीप्ति गोंड मुखर्जी
बैठक में प्रमुख सचिव खेल एवं युवा कल्याण ने दिए निर्देश
खेलो इंडिया यूथ गेम्स के आयोजन के अंतर्गत 2-4 फ़रवरी तथा 8 से 10 फ़रवरी तक मंडला ज़िले में यूथ गेम्स का आयोजन किया जा रहा है। इस संबंध में प्रमुख सचिव खेल एवं युवा कल्याण दीप्ति गोंड मुखर्जी ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से आयोजन की तैयारियों की समीक्षा करते हुए आवश्यक निर्देश दिए। कलेक्टर हर्षिका सिंह ने मंडला जिले में की जा रही तैयारियों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। खेलो इंडिया यूथ गेम्स के तहत मंडला में पंजाबी मार्शलआर्ट गटका तथा उत्तर-पूर्व के थांगटा की स्पर्धाएं आयोजित होंगी।
प्रमुख सचिव खेल एवं युवा कल्याण दीप्ति गोंड मुखर्जी ने निर्देशित किया कि जिले में विविध गतिविधियां आयोजित कर खेलो इंडिया यूथ गेम्स के लिए समुचित वातावरण तैयार करें। व्यापक प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से जिला स्तर पर नवाचार करें। खेलो इंडिया की थीम पर विभिन्न कार्यक्रम करें। स्कूल, कॉलेज में भी प्रतियोगिताओं का आयोजन करें। प्रमुख सचिव खेल एवं युवा कल्याण ने कहा कि खेल स्थल से संबंधित सभी तैयारियां जल्द पूर्ण करें। खाना की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दें। खेलो इंडिया यूथ गेम्स के लिए स्थानीय स्तर पर लगाए जाने वाले कर्मचारियों के चयन में भी सावधानी बरतें। उन्होंने खिलाड़ियों तथा अतिथियों के रूकने की व्यवस्था, सुरक्षा, भोजन, चिकित्सा सुविधा आदि के संबंध में भी विस्तार से चर्चा करते हुए आवश्यक निर्देश दिए। वीडियो कॉन्फ्रेसिंग में अपर कलेक्टर मीना मसराम, एसीईओ एसएस मरावी सहित संबंधित उपस्थित रहे।
केन्द्रीय इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री ने किया दो दिवसीय चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन
केन्द्रीय इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने संगम घाट पर चित्र प्रदर्शनी का फीता काटकर शुभारंभ किया। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के केन्द्रीय संचार ब्यूरो, प्रादेशिक कार्यालय-भोपाल एवं क्षेत्रीय कार्यालय मण्डला द्वारा दो दिवसीय चित्र प्रदर्शनी आयोजित की गई है। प्रदर्शनी के शुभारंभ के अवसर पर मंडला विधायक देवसिंह सैयाम, पूर्व राज्यसभा सांसद सम्पतिया उइके, नगर पालिका अध्यक्ष विनोद कछवाहा, उपाध्यक्ष अखिलेश कछवाहा एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
श्री कुलस्ते ने आजादी के आंदोलन से जुड़ी लगभग 76 पैनलों में शामिल चित्रों का अवलोकन किया। राज्यमंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते ने कहा कि भारत के आजादी के अमृत महोत्सव को हमें शताब्दी वर्ष तक सफलतापूर्वक उचाइयों तक पहुंचाना है। जी-20 की अध्यक्षता भारत के इस अमृत काल में उज्जवल अध्याय है। स्थानीय विधायक देवसिंह सैयाम ने कहा कि आजादी के शहीदों के बारे में हर किसी को जानने का यह बहुत अच्छा अवसर है। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलित कर की गई। कार्यक्रम में गीत नाट्य दल साधना कला मण्डल भोपाल द्वारा जादू एवं गीत भजन की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमें विजेता प्रतिभागियों को अतिथियों के द्वारा पुरस्कृत किया गया।
निर्माण श्रमिक रैन बसेरा योजना
’निर्माण श्रमिक रैन बसेरा योजना’ वर्ष 2014 से लागू की गई। योजना के अंतर्गत नगरीय निकायों, ऐसी बड़ी ग्राम पंचायतों में जहां कार्य हेतु अन्यत्र से अस्थायी रूप से निर्माण श्रमिकों एवं उनके परिवार के आश्रित सदस्यों का आवागमन होता है। उनके रात्रि विश्राम हेतु रैन बसेरा बनाए जाने का प्रावधान है। रैन बसेरे हेतु स्थल के चयन तथा रैन बसेरे की क्षमता के निर्धारण हेतु जिलास्तर पर जिलाध्यक्ष, नगर निगम आयुक्त, मुख्य नगर पालिका अधिकारी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत एवं संबंधित जिले के श्रम अधिकारी की समिति निर्धारित की गई है।
संबंधित नगरीय निकाय, जनपद पंचायत से उक्त समिति की अनुशंसा सहित प्रस्ताव मंडल में प्राप्त होने पर मण्डल द्वारा योजना में निर्धारित प्रावधान अनुसार रैन बसेरा निर्माण हेतु राशि दो किश्तों में अनावर्ती व्यय ग्रांट के रूप में दी जायेगी। उपरोक्त राशि का व्यय भवन निर्माण, भवन सुसज्जा, फर्नीचर, अलमारी, पलंग, बिस्तर व लॉकर आदि हेतु किया जा सकेगा।
अनावर्ती व्यय की राशि चार महानगरों (भोपाल, ग्वालियर, इंदौर एवं जबलपुर हेतु) -25 लाख रूपए, अन्य नगर निगमों हेतु 20 लाख रूपए, नगर पालिकाओं हेतु 15 लाख रूपए, नगर पंचायतों हेतु 10 लाख रूपए तथा ग्राम पंचायत हेतु 10 लाख रूपए देय होगा। ग्राम पंचायतों की स्थिति में केवल उन ग्राम पंचायतों में रैन बसेरा बनाया जा सकता है, जहां न्यूनतम जनसंख्या 5 हजार हो अथवा जहां निर्माण कार्य की अधिकता, आयोजनों, अन्य गतिविधियों के कारण अधिक संख्या में मजदूर एकत्रित होते हैं। ग्राम पंचायतों में रैन बसेरा निर्माण संबंधी प्रावधान मध्यप्रदेश राजपत्र 12 नवम्बर 2021 में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा जोड़ा गया है।
रबी मौसम की एडवाईजरी
उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने जिले के समस्त कृषकों के लिए रबी सीजन हेतु विभिन्न फसलों की कृषि एडवाईजरी जारी की है।
गेहूं
द्वितीय सिंचाई बुवाई के 40-45 दिन बाद कल्ले निकलते समय करें। समय से बोई गई फसल में तृतीय सिंचाई बुवाई के 60-65 दिन बाद तने में गाँठे बनते समय करें। गेहूं में यूरिया का उपयोग सिंचाई उपरान्त ही करें जिससे कि नत्रजन का समुचित उपयोग हो सके। यूरिया का छिड़काव (टॉप ड्रेसिंग) सुबह या रात में न करें क्योंकि उसे की बूँदों के सम्पर्क में यूरिया आने से पौधे की पत्तियों को जला देती है। दिन के समय यूरिया का छिड़काव करें।
चना
चने के खेत में कीट नियंत्रण हेतु टी आकार की खूंटियाँ (35-40, हे.) लगाएं। फली मैदाना भरते समय खूटियाँ निकाल लें। चने की फसल में चने की इल्ली का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर (1-2 लार्वा, मी. पंक्ति) से अधिक होने पर इसके नियंत्रण हेतु कीटनाशी दवा फ्लूबेन्डामाइड 39.35 प्रतिशत एस.सी. की 100 मिली, हे. या इन्डोक्साकार्ब 15.8 प्रतिशत ई.सी. की 333 मिली., हे. का 400-500 ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
मटर
मटर की फसल की पत्तियों पर धब्बे दिखाई दें तो मेन्काजेब 75 प्रति डब्ल्यू पी फफूंदनाशी के मिश्रण का 2 ग्रा.या कार्बेन्डाजिम 12 प्रति $ मेन्काजेब 63 प्रतिशत डब्ल्यू. पी फफूँदनाशी के मिश्रण का 2 ग्रा., ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। मटर की फसल में चुर्णिल फफूंदी (पाउडरी मिल्ड्यू) रोग के लक्षण जैसे पत्तियों, फलियों एवं तनों पर सफेद चूर्ण दिखाई दें, तो इसके नियंत्रण के लिये फसल पर कैराथेन फफूँदनाशी का 1 मि.ली., ली. या सल्फेक्स 3 ग्रा., ली. पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
मसूर
फसल पर एन.पी.के. (19:19:19) पानी में घुलनशील उर्वरक को फूल आने से पहले और फली बनने की अवस्था पर 5 ग्रा., ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए जिससे कि उपज में वृद्धि हो सकें। फसल पर माहू कीट का प्रकोप दिखाई देने पर डायमिथोएट 30 ई.सी. 2 मि.ली., ली. या इमिडाक्लोप्रिड 0.2 मि.ली., ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
गन्ना
शीतकालीन गन्ने की फसल में गुडाई करें। खेत में नमी की कमी होने पर सिंचाई कर सकते हैं।
सरसों
सरसों में सिंचाई जल की उपलब्धता के आधार पर करें। यदि एक सिंचाई उपलब्ध हो तो 50-60 दिनों की अवस्था पर करें। दो सिंचाई उपलब्ध होने की अवस्था में पहली सिंचाई बुवाई के 40-50 दिनों बाद एवं दूसरी 90-100 दिनों बाद करें। यदि तीन सिंचाई उपलब्ध है तो पहली 30-35 दिन पर व अन्य दो 30-35 दिनों के अंतराल पर करें। बुवाई के लगभग 2 माह बाद जब फलियों में दाने भरने लगे उस समय दूसरी सिंचाई करें। तापमान में तीव्र गिरावट के कारण पाले की भी आशंका रहती है। इससे फसल बढ़वार और फली विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे बचने के लिए सल्फर युक्त रसायनों का प्रयोग लाभकारी होता है। डाई मिथाइल सल्फो ऑक्साइड का 0.2 प्रतिशत अथवा 0.1 प्रतिशत थायो यूरिया का छिड़काव लाभप्रद होता है। थायोयूरिया 500 ग्राम 500 लीटर पानी में भारत बनाकर मूल फलियां बनने के समय प्रयोग करें। इससे फसल का पाने से भी फसल पर माहू कीट का प्रकोप दिखाई देने पर डायमिथोएट 30 ई.सी. 2 मि.ली., ली. या इमिडाक्लोप्रिड 0.2 मि.मी., ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
सामान्य
सिंचाई हेतु स्प्रिंकलर, रेन गन, ट्रिप इत्यादि का उपयोग करें जिससे सिंचाई के उस का समुचित उपयोग हो सके। रबी दलहन में हल्की सिंचाई (4-5 से.मी.) करनी चाहिए क्योंकि अधिक पानी देने से अनावश्यक वानस्पतिक वृद्धि होती है एवं दाने की उपज में कमी आ जाती है। रबी फसलों की पत्तियों पर धब्बे दिखाई दें तो मेन्काजेब 2 ग्राम या कार्वेन्डाजिम + मेन्काजेब (साफ) 2 ग्रा., ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। जब भी पाला पड़ने की आशंका हो या मौसम विभाग द्वारा पाले की चेतावनी दी गई हो तो फसल में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए अथवा खेत की मेड़ों पर धुआँ करें।