जानिए किसी की मृत्यु पर क्या लिखना होता है उचित- रिप, ओम शांति या विनम्र श्रद्धांजलि : पूजा ज्योतिषी

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हिन्दू मृतात्मा के प्रति रिप (RIP) या ओम शांति लिखना होता है गलत, लोगों में जानकारी का है आभाव

इस दुनिया में सबसे बड़ा सच यह है, कि जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु भी निश्चित है। यही बात मनुष्य के जीवन पर भी लागू होती है। हम अपनें जीवन में अपने परिवारजनों, रिश्तेदारों और कुछ अन्य लोगो से कुछ इस तरह से जुड़ जाते है, जिनके देहांत या मृत्यु पर हमें बेहद अफ़सोस होता है। किसी भी व्यक्ति का शोक समाचार किसी के लिए भी काफी दुखद समाचार होता है। जितनी ख़ुशी हमें किसी इंसान के जन्म के समय होती है, उतना ही दुःख हमें उस इन्सान के इस दुनिया से जाने पर होता है । जब कभी हमारे रिश्तेदार में, पारिवारिक सदस्यों, मित्र, कोई पुराना पड़ोसी या कोई ऐसा व्यक्ति जिसके हम काफी नजदीक रहे हो, उसकी मृत्यु की खबर मिलती है, तो वास्तविकता में हमें वहां मौजूद होना चाहिए लेकिन यदि किसी कारणवश हम वहां उपस्थित होनें में असमर्थ रहते है, तो इस दुखद समय में हम शोक संदेश और श्रद्धांजलि मैसेज भेजकर अपनी उपस्थिति का अहसास करवाते हैं लेकिन मृतात्मा के प्रति लोगों को रिप, ओम शांति या विनम्र श्रद्धांजलि क्या लिखना चाहिए ये पता नहीं होता है, और जो सभी लोग लिखते या बोलते हैं हम भी वैसा ही लिखते या बोलते हैं ।

युवा वर्ग धर्म की मूल अवधारणाओं से है विकृत और अनभिज्ञ

आजकल देखने में आया है कि किसी मृतात्मा के प्रति RIP या ओम शांति लिखने का फैशन चल पड़ा है, ऐसा इसलिए हुआ है, क्योंकि कान्वेंटी दुष्प्रचार तथा विदेशियों की नकल के कारण हमारे युवाओं को धर्म की मूल अवधारणाएँ या तो पता ही नहीं होती हैं या विकृत हो चुकी हैं। फेसबुक, वॉट्सऐप, ट्विटर, टेलीग्राम या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर आपने अक्सर एक शब्द देखा होगा RIP, जिसका इस्तेमाल किसी की मौत के बाद किया जाता है। अक्सर किसी का निधन होने पर RIP या ओम शांति लिखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। शायद आप भी ऐसा ही करते होंगे, क्योंकि ज्यादातर लोग एक भीड़ का हिस्सा होते हैं क्योंकि उनको लगता है कि जो सब कर रहे हैं, वह सही ही होगा, फिर क्या है, ना तो उनके मन में कोई प्रश्न आता है और ना ही वह उसके उत्तर की तलाश करते हैं। अब कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर देखा कि किसी के निधन की सूचना पर लोगों ने कमेंट बॉक्स में RIP या ओम शांति या विनम्र श्रद्धांजलि लिखा है तो बस एक के बाद एक सभी लोगों ने लिखना शुरु कर दिया। कुछ लोगों के लिए रिप का अर्थ होता है मृत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना, तो कुछ लोग रिप लिखकर यह समझ लेते हैं कि उन्होंने मृतक के परिवार को सांत्वना दे दी। लेकिन रिप या ओम शांति शब्द क्या होता है इससे लोग अभी भी अनभिज्ञ ही हैं।

क्या होता है (RIP) रिप या ओम शांति

सबसे पहली बात तो ये कि रिप कोई एक शब्द नहीं है, बल्कि एक शॉर्ट फॉर्म है। इसके फुल फॉर्म में ही इसका अर्थ छिपा हुआ है। दरअसल RIP शब्द का अर्थ Rest in Peace होता है इसकी उत्‍पत्ति लैटिन फ्रेज Requiescat In Pace से हुई है जिसका मतलब शांति से सोना, शांति में आराम करो या फिर शांति से आराम करो होता है। रिप शब्द की शुरुआत अठारवीं शताब्दी से मानी जाती है हालांकि कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो पांचवी शताब्दी में मृत्यु के बाद कब्रों पर Requiescat In Pace शब्द लिखे मिले हैं। ईसाई धर्म से ही इस शब्द का प्रचलन बढ़ा और यह शब्द ग्लोबल हो गया। बहुत सारे लोग मृत व्यक्ति को हिंदी में ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें या उनकी आत्मा को शांति मिले ही लिखते हैं, जबकि अंग्रेजी में लोग केवल रिप लिखते हैं। Requiescat In Pace के बारे में कहा जाता है कि कोई व्यक्ति अगर चर्च की शांति में मरता है तो उसकी आत्मा का मिलन जीसस क्राइस्ट से होता है। क्रिश्चियन मानते हैं कि मृत्यु के बाद आत्मा शरीर से अलग हो जाती है और जजमेंट डे के दिन दोनों फिर से मिल जाते हैं।

किन समुदायों के लिए उपयोग होता है (RIP) रिप या ओम शांति शब्द

किसी की मृत्यु की सूचना पर रिप या ओम शांति लिखना गलत नही होता है लेकिन यह शब्द उनके लिए उपयोग किया जाता है जिन्हें कब्र में दफनाया गया हो, क्योंकि ईसाई अथवा मुस्लिम मान्यताओं के अनुसार जब कभी जजमेंट डे अथवा क़यामत का दिन आएगा तो उस दिन कब्र में पड़े सभी मुर्दे पुनर्जीवित हो जाएंगे तो उनके लिए कहा गया है कि उस क़यामत के दिन के इंतज़ार में शान्ति से आराम करो, अब आपको यह बताने की जरूरत नहीं की शांति में आराम करो और भगवान उनकी आत्मा को शांति दे में क्या अंतर होता है। मैं ये नहीं कहती कि किसी की मृत्यु की सूचना मिलने पर रिप लिखना गलत होता है लेकिन यदि मृत व्यक्ति ईसाई या मुस्लिम समाज से है तब रिप या ओम शांति लिखना सही हैं। अर्थात सीधा सीधा कहा जाए तो जिन समुदायों में मृत व्यक्ति के शव को कब्र में दफनाया जाता है उन सभी समुदायों के व्यक्ति के निधन पर रिप या ओम शांति लिखना या बोलना उचित है।

हिंदुओं में अंतिम संस्कार की है परंपरा इसीलिए मृत व्यक्ति को अर्पित करते हैं विनम्र श्रद्धांजलि

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार शरीर नश्वर है, आत्मा अमर है, हिन्दू शरीर को जला दिया जाता है और पंचतत्व में विलीन कर दिया जाता है। अर्थात हिंदुओं में अंतिम संस्कार की परंपरा है। तो उसके लिए रेस्ट इन प्लेज या ओम शांति का सवाल ही नहीं उठता। हिन्दू धर्म के अनुसार मनुष्य की मृत्यु होते ही आत्मा शरीर का त्याग करके चली जाती है अर्थात आत्मा निकालकर किसी दूसरे नए जीव, काया, शरीर, नवजात में प्रवेश कर जाती है तो उस आत्मा को अगली यात्रा हेतु गति प्रदान करने के लिए ही श्राद्धकर्म की परंपरा निर्वाह की जाती है और शान्तिपाठ आयोजित किये जाते हैं। और हिंदू मान्यताओं में कहा जाता है कि मनुष्य को उसके पाप और पुण्य का हिसाब किताब या तो इसी जीवन में भुगतना होता है या फिर अगले जन्म में चुकाना होता है इसीलिए मृत्यु के पश्चात उसे कब्र में इंतजार नहीं करना पड़ता, तो यही कारण है कि हिंदू मनुष्य की मृत्यु पर रिप या ओम शान्ति लिखना या बोलना अनुचित होता है इसीलिए हिंदू मनुष्य की मृत्यु होने पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।

लेख- कुमारी पूजा ज्योतिषी मण्डला

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