मानवता की सीख से,जगा दिया संसार।
हे गौतम ! तुमने दिया,हमको जीवन-सार।।
सामाजिक नवचेतना,का बाँटा था प्यार।
प्रेम-नेह के दीप से,दूर किया अँधियार।।
कपिलवस्तु के थे कुँवर,ख़ूब किया पर त्याग।
ज्ञान-खोज में लग गए,गाया सत् का राग।।
संन्यासी बन तेज का,दिया दिव्य उपहार।
बुद्ध ज्ञान के पुंज थे,परम मोक्ष का सार।।
धम्मं शरणम् ले गए,सारे जग को बुद्ध।
प्रेम,शांति की सीख से,बंद कराये युद्ध।।
मार्ग दिखाया सत्य का,हुआ अहिंसा-गान।
हर दुर्गुण को दूर कर,ख़ूब रचा उत्थान।।
बौद्धधर्म के दर्श से,किया नवल यह लोक।
सतत् साधना से किया,दूर सभी का शोक।।
मानवता का ज्ञान दे,गौतम बने महान।
सचमुच में सिद्धार्थ थे,परम शक्ति का मान।।
सदियों यह जग बुद्धमय,युग-युग तक गुणगान।
हर मानव मानव बना,पाई नव पहचान।।
नमन् करूँ,वंदन करूँ,गाऊँ श्रद्धागीत।
हे गौतम ! तुम हो सदा,मानवता के मीत।।
प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे,प्राचार्य
शासकीय जगन्नाथ मुन्नालाल चौधरी कन्या स्नातक महाविद्यालय,मंडला, मप्र