
आम तौर पर दशहरे में सिर्फ बंदूक तमंचे, तलवार त्रिशूल लाठी डंडो की पूजा की जाती है जिसे आपने आज तक खूब देखा होगा लेकिन आज हम आपको मंडला जिले में विजयदशी के इस पर्व पर अनोखी शस्त्र पूजा के बारे में बताते है यहां शस्त्र के रूप में मंडला जिले के महात्मा गांधी स्टेडियम में खिलाड़ियो ने अपने-अपने खेल में प्रयोग आने वाले सामग्रियो को अस्त्र मानते हुए उनकी पूजा की है.इस पूजा के बीच खिलाड़ियो का लोगो के लिए एक बड़ा संदेश छिपा हुआ है. दरअसल विजय दशमी यानी दशहरा बहुत ही खास होती है . इस दिन हिंदू अपने अस्त्र-शस्त्र की पूजा पूरे विधि विधान से करते हैं.ऐसा माना जाता है कि विजयादशमी यानी दशहरा पर शस्त्र पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है.इसी मान्यता के आधार पर हिन्दु धर्म के लोग अपने-अपने अस्त्र और शस्त्रो की पूजा करते है.लेकिन ये जरूरी नहीं कि दशहरे में बंदूक, तमंचे या फिर तीर, तलवारों की ही पूजा की जाए.ऐसा ही कुछ अलग हमें देखने को मिला मण्डला जिले के महात्मा गांधी स्टेडियम में जहां खिलाड़ियो के लिए खेल उपकरण और मैदान कितना अहम है.जिले के सभी खिलाड़ियों ने एक साथ एकत्रित होकर अपने अपने खेल उपकरण और मैदान की दशहरे के अवसर पर शस्त्र पूजा की तर्ज पर पूरी श्रद्धा के साथ आराधना की.
यहां खिलाड़ियों ने पूरी श्रद्धा-भक्ति के साथ अपने ग्राउंड और खेल में उपयोग आने वाली जैसे क्रिकेट के खिलाड़ियो ने अपने बल्ले, बॉल, फुटबाल खेलने वाले ने अपने फूटबाल और जूते, पहलवानो ने अपने गदा, बैंडमिटन प्लेयर ने अपने बैडमिटन की और बुशू के खिलाड़ियो ने अपने किट की पूजा की. इसके साथ ही जिले के अन्य खिलाड़ियो ने भी अपने-अपने खेल सामग्रियो की पूजा कर मां शक्ति से दुआ मांगी कि खेल प्रतिभाएं मंडला जिले से आगे बढ़े और किसी सितारे की भांति देश और दुनिया में हम चमके. किक्रेट खेलने वाले क्रिकेट खिलाड़ी सत्यम बर्मन ने बताया कि इस दिन सभी अपने-अपने अस्त्र और शस्त्र की पूजा करते है और हमारा अस्त्र हमारा बल्ला और बॉल है जिसकी हमने पूजा की है इस अवसर पर नेशनल वुशू चैंपियन और गोल्ड मेडल प्राप्त पूर्णिमा रजक ने बताया कि इस तरह का आयोजन सिर्फ मंडला में ही होता है. और इतनी बड़ी संख्या में खिलाड़ी एक साथ इकट्ठा होकर पूरी एकता के साथ खेल भावना का परिचय देते हुए अपने खेल उपकरणों की पूजा करते हैं. सयोजक समीर बाजपेयी के मुताबिक हमने सभी खिलाड़िओ में आपस में खेल भावना बढ़ाने के लिए इस पूजन की शुरूआत की थी.इसी को लेकर हमने यह पूजन शुरू किया. जिसे आज 5 वर्ष पूर्ण हो चुके है . इसका सिर्फ एक ही उद्देश्य था.बच्चो में खेल भावना बनी रहे.आपस में परिचय हो अलग-अलग क्षेत्र के बच्चे अलग-अलग आयोजन में हिस्सा ले…और जिले का नाम प्रदेश ही नही बल्कि पूरी दुनिया में कायम करे.इस अनोखी शस्त्र पूजा की पूरे शहर भर में जमकर तारीफ हो रही है.इन खिलाडियों का लोगों को यही संदेश है कि आपकी पहचान में जिस चीज का योगदान है….हमेशा उसकी इज्जत और सम्मान किया जाना चाहिए.
