कर्तव्य पथ पर ~ कदम कदम बढ़ाये जा अनिता बोस का यह कथन शाश्वत सत्य है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस

हिंदुस्तानियों के दिल में बसते हैं। हम हिन्दुस्तानी उन्हें बहुत प्यार करते थे,प्यार करते हैं और जब तक “सूरज-चाँद” का अस्तित्व रहेगा तब तक करते रहेंगे।अनिता बोस के उक्त वक्तव्य का संदर्भ था-23 जनवरी 2022 को प्रधानमन्त्री द्वारा उनके पिता नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती के उपलक्ष्य में इण्डिया गेट पर उनकी “होलोग्राम प्रतिमा” का अनावरण । इसी स्थान पर 08 सितम्बर 2022 को राजपथ के पुनर्विकसित स्वरूप कर्तव्य पथ पर नेताजी की भव्य प्रतिमा स्थापित कर स्वर्णीम इतिहास की रचना कर दी गई है । महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी,स्वतंत्रता के महानायक, सूत्रधार एवं आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी की यह प्रतिमा 280 मेट्रिक टन “एकल काले ग्रेनाइड पत्थर” को उकेर कर लगभग तीन वर्ष में तैयार की गई है । इस प्रतिमा के निर्माण में पारम्परिक एवं आधुनिक तकनीकी उपकरणों का प्रयोग किया गया है किन्तु यह पूर्णरूपेण हाथों से बनाई गई सुंदरतम कृति है । इतने विशाल ग्रेनाइट पत्थर को तेलंगाना के खम्मम नामक स्थान से 1665 किलोमीटर दूर दिल्ली तक लाने हेतु एक विशेष ट्रक का निर्माण किया गया था जो 100 फिट लंबा व 40 पहियों से युक्त था । उक्त ग्रेनाइड से निर्मित नेताजी की विशाल प्रतिमा की ऊंचाई 28 फिट एवं वजन 65 मेट्रिक टन है जिसे इंडिया गेट के समीप ठीक सामने “एक छतरी” में स्थापित किया गया है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के गगनचुम्बी व्यक्तित्व को “समाने हेतु” यह छतरी तो क्या संपूर्ण विश्व का क्षेत्रफल भी पर्याप्त नहीं है वे अद्वितीय प्रतिभा के “न भूतों न भविष्यति” महामानव थे । नेताजी की प्रतिमा के अनावरण के पूर्व इंडिया गेट के समीप एम्फीथियेटर पर लगभग 30 कलाकारों द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को प्रतिमा की झलक दिखलाई जिसके अनुक्रम में कलाकारों ने नासिक ढोल, पथिक ताशा द्वारा ड्रमों के संगीत की धुनों पर संबलपुरी,पंथी, कालबेलिया, करगाम एवम कच्छी घोड़ी जैसे अनेक “आदिवासी लोक कला रूपों” का मनमोहक प्रदर्शन किया,तदोपरांत आजाद हिंद फौज के पारंपरिक गीत “कदम कदम बढ़ाये जा” की धुन के साथ प्रतिमा का अनावरण किया गया।
इस कार्यक्रम में “एक भारत~श्रेष्ठ भारत” एवम “अनेकता में एकता” की भावना को प्रदर्शित करने हेतु 500 नर्तकों ने “सांस्कृतिक उत्सव” प्रस्तुत किया । नेताजी की प्रतिमा,इंडिया गेट व रायसीना पहाड़ी (सेंट्रल विस्टा एवम राष्ट्रपति-भवन) तीनों एक “सरल रेखा” में हैं तथा 3 किलोमीटर का यह मार्ग “कर्तव्य पथ”की संज्ञा से विशेषणित किया गया है । दूसरी ओर नेताजी की प्रतिमा के ठीक पीछे 400 मीटर की दूरी पर “राष्ट्रीय युद्ध स्मारक” बनाया गया है जो हमारी सेना के शौर्य का जीवन्त दर्शन है। इस स्मारक पर 1971 व उसके पूर्व एवं पश्चात के युद्धों सहित अन्य सभी युद्धों के व गलवान घाटी के चीनी सेना की भिड़ंत में वीरगति को प्राप्त शूरवीरों सहित कुल 25,942 अमर शहीदों के नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है । “अमर जवान ज्योति” की एवम “युद्ध स्मारक” की “जोत के जोत में विलय” का यह पवित्र श्रद्धांजली स्थल है । इसी मार्ग पर रायसीना पहाड़ी की ओर “सेंट्रल विस्टा जीर्णोद्धार परियोजना” भी प्रगति पर है । यह परियोजना कर्तव्य पथ के किनारे स्थित केंद्रीय प्रशासनिक क्षेत्र को पुनर्जीवित करने हेतु संचालित पुनर्विकास योजना है । “औपनिवेशिक अतीत के प्रतीक” को मिटाकर यहाँ दिल्ली का सबसे बड़ा पर्यटन स्थल बना दिया गया है। रायसीना पहाड़ी से इण्डिया गेट का यह मार्ग 1955 के पूर्व “किंग्सवे रोड”एवम 1955 से अब तक “राजपथ” कहलाता था। यह पूरा क्षेत्र 1,10,457 वर्ग मीटर का है,जिसका विहंगम दृश्य अद्भुत एवं अत्यंत नयनाभिराम है । इस क्षेत्र में लगभग 41 हज़ार सुन्दर से अतिसुन्दर वृक्ष लगाए गये हैं।नेताजी की प्रतिमा वाली इस छतरी में 1968 तक किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा थी जिसे हटाने के उपरांत विगत 54 वर्षों से यह छतरी मानो नेताजी की पवित्र प्रतिमा हेतु प्रतीक्षारत थी ।
इस मार्ग का “कर्तव्य पथ” नामकरण भी अत्यंत सटीक है । “जब कोई राजा ही नहीं तो, काहे का राजपथ” ! ” कल्याणकारी लोकतन्त्र में शासन,नौकरशाह ( व्यवस्थाक ), न्यायपालिका व नागरिक सभी अपने-अपने कर्तव्य पर हैं।यही “शक्ति के पृथक्करण” की सौंदर्यता है । नेताजी से श्रेष्ठ कर्तव्य की परिभाषा और कौन गढ़ सकता है ? हमारा दायित्व सर्वप्रथम अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना होना चाहिये । जिसका उल्लेख संविधान के भाग 4 (क),अनुच्छेद 51(क) में किया गया है वे मात्र 11 कर्तव्य हैं जो अत्यन्त सहज,सरल,आवश्यक, एवम अपरिहार्य हैं । संविधान के इस भाग को बाध्यकारी बना दिया जाना आवश्यक हो गया है । इन कर्तव्यों में सर्वोपरि है : राष्ट्रभक्ति, साम्प्रदायिक-सद्भाव,धार्मिक-सहिष्णुता,बंधुत्व,महिलाओं के प्रति सम्मान,बालको का उद्धार व आपसी सामन्जस्य । 75 वर्षों तक अधिकारों की बातें बहुत हो चुकी,अब कर्तव्य पथ पर “विकास रथ” को दौड़ाना होगा । देश को विकासशील नही अपितु “विकसित देश” बनाने में प्रत्येक नागरिक का सहयोग अनिवार्य व अपरिहार्य है । यह तभी संभव है जब हम अपने मूल अधिकारों को प्रदान करने व संविधान के नीति निदेशक तत्वों का अनुसरण करने का कार्य विधायिका एवम व्यवस्थापिका को करने दें । इन कार्यों के पर्यवेक्षण हेतु व नागरिकों के मूल अधिकारों के संरक्षण हेतु हमारा सर्वोच्च न्यायालय सजग प्रहरी के रूप में सदैव तत्पर है ।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की इस अप्रतिम प्रतिमा के माध्यम से मेरे कृतज्ञ परिवार को नेताजी के चिरस्मरणीय दर्शन का लाभ प्राप्त हुआ, हम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित कर धन्य हो गये । चूंकि मेरे पूज्य पिताजी स्व.पं.करतारचन्द जी शर्मा आजाद हिंद फौज के एडज्युटेंट होने के साथ ही नेताजी के निकटतम व अभिन्न सहायक थे व नेताजी की अंतिम हवाई उड़ान में सवार होने के पूर्व तक उनके साथ थे । अतः हमारे परिवार की विशेष अनुरुक्ति है परिणामतः हमारे परिवार का सबसे बड़ा पर्व नेताजी का जन्मदिवस होता है । इसी के चलते तीन किलोमीटर के इस अति रमणीय अलौकिक मार्ग के “पग-भ्रमण” से अत्यंत आनंद,प्रसन्नता एवं उत्साह की अनुभूति प्राप्त हुई ।
भारत की स्वतंत्रता के महा योद्धा नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपने जीवन की सर्वोत्कृष्ट आहुति कर इस स्वतंत्रता के महायज्ञ में जिस विशेष कर्तव्य का निर्वाह कर भारत की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया था,उसको वर्णित करने हेतु “शब्दकोषों में शब्दाभाव”है । इस बलिदान की व्याख्या करना असंभव है । वस्तुतः स्वतंत्रता प्राप्ति करना नेताजी का प्रत्यक्ष उद्देश्य था ही नहीं,अपितु उनका उद्देश्य था,भारत वासियों को गरिमामयी जीवन प्रदान करना तथा वे सभी अधिकार सुलभ कराना जो सम्मानपूर्व मानव जीवन हेतु नितांत आवश्यक होते है व उसका एक मात्र विकल्प व माध्यम था स्वतंत्रता-अतःनेताजी ने स्वतंत्रता का यह कठिन लक्ष्य संकल्पित कर लिया था । संयोगवश नेताजी के इस लक्ष्य का हमारे संविधान निर्माताओं द्वारा संविधान की उद्देशिका एवं संविधान के भाग तीन “मूल अधिकारों” में विस्तृत विवरण अंकित किया है ।
नेताजी के बलिदान हेतु भारत उनके प्रति “श्रद्धा नमन होकर कृतज्ञ” है । कृतज्ञता मानवता की सर्वोत्कृष्ट विशेषता है,वस्तुतः कृतज्ञता भी एक ऐसा कर्तव्य जिसे पूर्णतः संपादित करना चाहिये । नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने व उन्हें सच्ची एवम हार्दिक श्रद्धांजलि देने का वर्तमान परिवेष में मात्र एक ही विकल्प व एक ही साधन शेष है,वह है : अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन तथा अपना,अपने समाज एवम् राष्ट्र का उत्साह पूर्वक समग्र विकास ।
कदम कदम बढ़ाये जा,
खुशी के गीत गाये जा।
यह जिंदगी है कौम की ,
तू कौम पर मिटाये जा ।।

इसी धारणा के साथ निरोग एवं सर्व संपन्न रामराज का सपना साकार होगा । रामराज का अंशतः पर्याय अर्थात् लघु रूप ही तो सुशासन (गुड गवर्नेंस) है । जिससे देश के नागरिकों को देह-संबंधी,दैव-संबंधि तथा भौतिक कष्ट न होकर अलौकिक विजयश्री प्राप्त होगी व इसी धारणा से कल्याणकारी राज्य का वास्तविक ठोस सृजन भी होगा ।
दैहिक,दैविक,भौतिक तापा,
रामराज नहिं काहूहि व्यापा

पेरिस ( फ्राँस ) से … पं.नरेश शर्मा,रा.पु.से.
नगर पुलिस अधीक्षक (से.नि.) , जबलपुर ( म.प्र. )

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