गम कभी मेरे यहां तुम गर जरा पहचान लो।
है मुझे तकलीफ अब कितनी कभी तुम जान लो।।
दिल बिखर जाता है मेरा टूट कर जोड़ो इसे।
पर कभी हारा नहीं यह देख इसका ज्ञान लो।
आस छूट्टी है दिखा दे रोशनी की अब प्यार से ।
उलझनें ही है निशानी प्रेम की बस मान लो।।
जिंदगी की कशमकश ने भी मुझे जकड़ा यहां ।
फिर रहा मारा हुआ सा अब जरा संज्ञान लो।।
दर्द दिखता है सभी को तुम भला क्यों नासमझ हो ।
आज फिर से तुम यहां पर प्रेम का ही दान लो।।
हो रही बेचैनियां है अब फिर मिला लो नैन तुम।
अब कहो अपना भलाई है इसी में ठान लो।।
मान जाओ बात मेरी कह रही सीमा तुझे।
हम बने हैं एक दूजे के लिए ही मान लो।
सीमा रंगा इन्द्रा
सर्वाधिक सुरक्षित व अप्रकाशित