हृदय नगर मेला – से मचलेश्वर मेला तक का सफर : प्रफ़ुल्ल मिश्रा

हृदय नगर मेला- से मचलेश्वर मेला तक का सफर
2000 से 2015

हिरदेनगर मेले की धूम,ग्रामीणों की भीड़, उड़ती हुई धूल, जहां तक नजर आए पशुओं के झुंड, गायों के गले में बजती हुई घंटियां, मिठाई वाले, पेटी वाले, कपड़े वाले, सिलबट्टा,लोहे के बर्तन वाले, झूले की चर्र-चूँ,गोटेगांव, नरसिंह पुर के पशु व्यापारियों के तंबू से आने वाली लोक लुभावनी आवाज, छोटे-छोटे बच्चों की परंपरागत शक्कर की माला गले में डाले दूर दराज से आए हुए व्यापारीयों द्वारा फाग एवं होली गीत की आवाज, ढोलक व मांदर की थाप ,दूर से बजती हुई टिमकी की आवाज, इन सबके प्रत्येक वर्ष होली पर कान अभ्यस्त हो गए थे पर इस साल हृदय नगर में एक अजीब सी वीरानी है जो मन को उद्वेलित कर रही इस वर्ष लगभग 125 साल पुरानी इस परंपरा को “कोरोनावायरस” की नज़र लग गई.

मित्रों जहां तक मेले के इतिहास की बात है बुजुर्गों द्वारा बताए अनुसार इस मेले की शुरुआत 1890 के आसपास की है यह मेला मटियारी बंजर एवम सुरपन नदी की “त्रिवेणी संगम” में प्रारंभ हुआ था, जैसा कि हम सब देखते हैं कि होली के समय मेले में आंधी तूफान बारिश होती है, सम्भवतः उस समय भी इन कारणों से रेत के बीच में मेला होने के कारण भारी मात्रा में जन एवं धन की हानि होती रही, जिसके कारण धीरे-धीरे मेले में व्यापारी आना कम होने लगा एवं मेला अपनी रौनक खोने लगा बताया जाता है कि 1911 के आसपास तत्कालीन मालगुजार “पंडित मचल प्रसाद मिश्रा” द्वारा जनपद सभा के माध्यम से वर्तमान में जहां मेला भरता है अपनी भूमि निशुल्क रूप से “महाशिवरात्रि से होलिका की रात्रि “तक देने की पेशकश की, जिससे मेले को पुनः भव्यता प्रदान की जा सके 1911 से 1970 तक इस मेले का नाम “मचल मेला मौजा हृदय नगर” की पर्चियां पशु मालिकों को क्रय विक्रय हेतु दी जाती थी 1971 के बाद मेले का नाम अपभ्रंश होकर “हृदय नगर मेला “हो गया..

वर्ष 2000 में प्रथम बार जनपद चुनाव जीतकर अपने पूर्वजों के द्वारा प्रारंभ की इस परंपरा को और भव्य स्वरूप प्रदान करने का जुनून मेरे मन में था,फिर 2005 के बाद 2010 एवं 2015 तक क्षेत्र की जनता ने अपने आशीर्वाद देकर मतदाता ने मेरे विकास के सपनों को साकार करने की मुहर लगाई, निरंतर 3 बार जनपद सदस्य में 2 बार जनपद उपाध्यक्ष के रूप में विकास कार्यों में भागीदार रहा , जनपद पंचायत द्वारा मेरे आग्रह पर यह संकल्प पारित किया गया कि मेला मचल प्रसाद जी के द्वारा प्रारंभ किया गया एवम भगवान शिव पार्वती जी के विवाह ” शिवरात्रि” से प्रारंभ होने के कारण मैंने शिव पार्वती के संयुक्त रूप को “मचलेश्वर” नाम दिया एवं 2002 में मध्य प्रदेश शासन के राजपत्र में उक्त मेले का नाम “मचलेश्वर मेला हृदय नगर” हुआ।

क्योंकि यह मेला निजी जमीन पर आयोजित किया जाता था इसलिए कोई भी निर्माण कार्य होना संभव नहीं था कुल 2 भवन थे जिसमें एक में मेला कार्यालय दूसरे में पशु एवं प्लाट ठेकेदार के लिए आवंटित किया जाते थे, कई बार यह भी देखा गया कि जब तेज आंधी पानी ओले गिरते थे तो सिर पर खपरे ना गिरे हम सब कार्यालय की एक बड़ी लकड़ी की टेबल के नीचे जाकर छुपते थे, तत्कालीन ceo श्री ए. के.सिंग, श्री राजीव श्रीवास्तव, श्रीमती ऊषा पाठक, ए के श्रीवास्तब,पी के सिंग जी के साथ ही जनपद कार्यालय के जितेंद्र चौरसिया, शारदाचन्द्रोल, भरत कुडापे,भी खम चौधरी, सुधीर तिवारी दिवाकर जी स्वर्गीय उमेश हूँका पशु विभाग के डॉक्टर चौरसिया,डॉ ज्योतिष, डॉ तिवारी मेला सचिव श्री नेमा कई बार इन परिस्थितियों से रूबरू हुए, कई बार तो अधिक बारिश होने पर हम सभी लोग व्यापारियों के पानी में तैरते हुए बर्तन एवं उनका सामानआदि दुकानदारों को घुटने तक पानी में से निकाल कर देते थे,

मुझे दो तीन बार मेले का अध्यक्ष बनने का अवसर मिला था यह सब देख कर बड़ी पीड़ा होती थी तब मेरे एवम जनपद के निरंतर प्रयासों से भव्य निर्माण जिसमें कौर गांव में मेले का गेट, हृदय नगर मेले का गेट, पूरे मेले में सीसी रोड, मेला का भव्य भवन ,ठेकेदार के लिए भवन ,मेला परिसर में साप्ताहिक बाजार हेतु शेड, मेला स्थल में सुलभ शौचालय, पेयजल हेतु हैंडपंप की व्यवस्था, की गई मेला भवन की इमारत बनाते समय मन में कल्पना भी थी कि ग्रामवासी अपने बेटे बेटियों के विवाह के लिए मंडला या बम्हनी जाते हैं, इन्हें भी शादी समारोह हेतु ग्राम में शादी के लिए भवन मिल सके मुझे अत्यंत खुशी है जिसका निरंतर आज भी उपयोग किया जा रहा है।। मेरा सौभाग्य है कि उसी मेला भवन में “राष्ट्रसंत आचार्य श्री विद्यासागर” महाराज जी ने अपने समस्त मुनि संघ के साथ रात्रि विश्राम किया था, मैं सदैव आभारी रहूंगा जनपद के अध्यक्ष डॉ. शिवराज शाह जी, श्रीमती निर्मला उईके जी, श्री मुन्ना कुश राम जी, एवम तत्कालीन समितियों के जनपद सदस्यों का, जिनका पर्याप्त सहयोग मुझे प्राप्त हुआ, प्रशासनिक अधिकारियों में कलेक्टर श्री मनोज गोविल, श्रीमती पल्लवी गोविल, श्री संजय शुक्ला जी, प्रभात पाराशर, सुभाष जैनजी, स्व.के.के.खरे जी एवं स्वाती मीणा जी का अत्यंत स्नेह व मार्गदर्शन प्राप्त हुआ, एवं मेरे वह आमंत्रण पर हमेशा मेला पहुंचे, इन सबके साथ केंद्रीय मंत्री मेरे वरिष्ठ नेता श्री फग्गन सिंह जी कुलस्ते, श्री देव सिंह जी , एवं श्रीमती संपतिया उइके जी का जिन्होंने मेले को भव्यता प्रदान करने में सहयोग किया,

मैं सदैव आभारी रहूंगा, तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत “राजीव शर्मा जी” का जिन्होंने मुझे अनुज की तरह विकास कार्यों हेतु अग्रसर किया, मुझे याद है श्री शर्मा जी तत्कालीन प्रदेश के सचिव मोहम्मद सुलेमान जी को भी मेले में ले कर आए थे श्री सुलेमान जी ने इस आयोजन की खूब प्रशंसा की थी, 2005 में कुलस्ते जी के प्रयासों से “सूचना प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा भारत निर्माण “अभियान के तहत 7 दिनों का भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम श्रीमती नन्दिनी मिश्रा जी के नेतृत्व में संपूर्ण जनमानस के मानस पटल पर आज भी अंकित है .

प्रफ़ुल्ल मिश्रा, मंडला

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